देश को है जमनालाल बजाज के विचारों की जरूरत
देश को है जमनालाल बजाज के विचारों की जरूरत
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उद्यमी होने के बाद भी देश के प्रति सेवा और स्वाधीनता के संघर्ष में भागीदारी की भावना किस में हो सकती है। कुछ ऐसी ही ललक थी जमनालाल बजाज में। आज ही के दिन जमनालाल बजाज का स्वर्गवास हो गया था। एक उद्योग समूह को स्थापित कर उसकी प्रगति करने वाले जमनालाल बजाज ने सामाजिक कार्य कर समाज में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके लिए महात्मा गांधी पिता की तरह और मां आनंदमयी माता की ही तरह थीं।

जमनालाल बजाज ने उद्योग समूह को स्थापित किया और उसका परचम लहराया। उनमें गीता के संस्कार कूट - कूट कर भरे थे। यही नहीं उन्होंने बापू को अपना लिया। दत्तक पुत्र की ही तरह उन्होंने लाठी पकड़कर भारत की आज़ादी का बिगुल बजाने वाले नेता और सच्चे अनुयायी की ही तरह भारत से गरीबी और अशिक्षा का अभिशाप मिटाने का संकल्प लेेकर संतों के अनुगामी की तरह थे।

जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया। महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य जैसे 11 व्रत भी उन्होंने कहे थे। जमनालाल बजाज ने इस तरह के व्रतों को अपनाते हुए अपना जीवन निर्वहन किया। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें रायबहादुर और मजिस्ट्रेट जैसी उपाधियां प्रदान की लेकिन उन्होंने इन उपाधियों को विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया।

जमनालाल ने अपने घर के मंदिर में ही कमजोर जातियों के लोगों का प्रवेश करवाया। गौ सेवा उनके जीवन का उद्देश् था। उन्होंने अपने कारोबार में ट्रस्टी को महत्व दिया। बजाज समूह की कई योजनाओं और उपलब्धियां उनके समय में प्राप्त हुईं। 

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