कोरोना वायरस के प्रभाव को लोगों को समझाने के लिए कई शब्दों का उपयोग किया गया है. वही, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कुछ लोगों द्वारा प्रयोग किए जा रहे शब्द 'सोशल डिस्टेंसिंग' को जैन मुनि प्रमाण सागर ने अनुचित ठहराया है. उनका कहना है कि सोशल डिस्टेंस शब्द ठीक नहीं है. अंग्रेजी के अंधानुकरण के कारण इसका अर्थ बदल गया है. इसके बजाय शारीरिक दूरी शब्द का उपयोग किया जाना चाहिए.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मध्य प्रदेश के सागर में मुनिश्री प्रमाण सागर ने धर्मसभा को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब है एक-दूसरे से सामाजिक दूरी. एक-दूसरे से मतलब नहीं रखना, जबकि एक-दूसरे से जुड़े रहना ही हमारी संस्कृति है. हां, शारीरिक दूरी बनाकर रहना चाहिए. मुनिश्री ने कहा कि संसर्ग से बचें, क्योंकि यह बीमारी संसर्ग के कारण ही बढ़ रही है.
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इसके अलावा उन्होने कहा कि अंग्रेजी के शब्दों के बजाय हिंदी शब्द का उपयोग करना चाहिए. जैसे क्वारंटाइन का मतलब शुद्घिकरण होता है, जो भारतीय संस्कृति में शुरू से ही हमारे घरों में होता है. क्यों ना हम मूल शब्दों का ¨हदी में प्रयोग करें. सोशल डिस्टेंसिंग शब्द से जो भाव जुड़ा है, वह भयावह है. इसके दुष्परिणाम पर हमें चिंतन करना चाहिए. इसी प्रकार आइसोलेशन का मतलब होता है अलग-थलग रहें. पता नहीं लोगों को हिंदी से क्या नाराजगी है.
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