सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, -  70 वर्षों से फायदा ले रहे लोगों के वारिसों को ना मिले आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, - 70 वर्षों से फायदा ले रहे लोगों के वारिसों को ना मिले आरक्षण
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नई दिल्ली: शीर्ष अदालत ने कहा है कि आरक्षण का फायदा उन 'महानुभावों' के वारिसों को नहीं मिलना चाहिए जो 70 वर्षों से आरक्षण का फायदा लेकर धनाढ्य की श्रेणी में आ चुके हैं। वर्षों से आरक्षण का लाभ सही मायने में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाने पर न्यायालय ने कहा कि, सरकार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की सूची फिर से तैयार करनी चाहिए।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत शरण, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि, ऐसा नहीं है आरक्षण पाने वाले वर्ग की जो लिस्ट बनी है वह पवित्र है और उसे छेड़ा नहीं जा सकता। आरक्षण का सिद्धांत ही जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना है। संविधान पीठ ने अपने एक आदेश में कहा कि, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के अंदर ही आपस में संघर्ष है कि पात्रता के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि, सरकार का दायित्व है कि सूची में संशोधन करे जैसा कि इंद्रा साहनी मामले में नौ सदस्यीय पीठ ने कहा था।

संविधान पीठ ने कहा कि, आरक्षित वर्ग के भीतर ही सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त लोग हैं। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को सामाजिक मुख्यधारा में लाने की आवाज को लेकर संघर्ष हो रहा है, इसके बाद भी उन्हें आरक्षण का सही मायने में लाभ नहीं मिल पा रहा। इसे लेकर आवाजें उठ रही है।

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