अहमदाबादः गुजरात पुलिस के मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने कहा कि वह आगे की सुनवाईयों में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत में कहा, मैं इंसाफ की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अब असहाय और निराश महसूस कर रही हूं, मैं पूरी तरह से टूट चुकी हूं। इसलिए अब वह मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो पाऊंगी। मालूम हो कि विशेष सीबीआई अदालत के जस्टिस आरके चूड़ावाला चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा दायर किए गए डिस्चार्ज आवेदनों की सुनवाई कर रहे हैं।
इनमें इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस जीएल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुन बरोत, पूर्व डिप्टी एसपी जेजी परमाप और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर अंजू चौधरी हैं। उन्होंने कहा, इंसाफ के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अब मैं असहाय और निराश महसूस कर रही हूं। 15 साल से ज्यादा समय बीत चुका है, पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। मेरी बेटी की हत्या के मामले में सुनवाई का सामना करने के बाद भी गुजरात सरकार ने कुछ को बहाल कर दिया था। 15 साल के बाद ट्रायल बमुश्किल शुरू हो पाया है।
इशरत की मां ने दावा किया कि उसकी बेटी बेगुनाह थी और उसे इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह मुसलमान थी, और उसे आतंकी करार देकर नेताओं और सरकार के रजनीतिक हित पूरे किए गए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि मुंबई के पास मुंबरा टाउनशिप की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्ले, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के बाद 15 जून 2004 को एक कथित मुठभेड़ में मार दिया था। पुलिस का दावा था कि इन चारों का संबंध आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों से था।
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