कोर्ट से भी ऊपर है बिहार पुलिस ? अदालत के आदेश के बावजूद दर्ज नहीं किए 15000 केस, इंसाफ के इंतज़ार में हज़ारों पीड़ित
कोर्ट से भी ऊपर है बिहार पुलिस ? अदालत के आदेश के बावजूद दर्ज नहीं किए 15000 केस, इंसाफ के इंतज़ार में हज़ारों पीड़ित
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पटना: बिहार पुलिस लगता है अदालत से भी बड़ी हो गई है, क्योंकि वो अब हाई कोर्ट का आदेश भी नहीं मानती है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि पुलिस के रिकार्ड इसकी गवाही देते हैं। दरअसल, राज्य के विभिन्न थानों में अलग-अलग अदालतों के आदेश पर भी FIR दर्ज न होने का आंकड़ा हैरान कर देने वाला है। पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर पूरे बिहार से जो रिपोर्ट मंगाई गई है, उसके मुताबिक, विभिन्न जिलों में कुल 14996 ऐसे केस हैं, जिनमें अदालत के आदेश के काफी समय बाद भी थानों में FIR दर्ज नहीं की गई है। यानी, बिहार में लगभग 15000 ऐसे केस हैं, जिनपर खुद अदालत ने पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने कोर्ट के आदेश का पालन करना ही उचित नहीं समझा। इससे आप समझ सकते हैं कि, इन 15000 मामलों में कितने फरियादी होंगे, जो इंसाफ की आस लगाए बैठे होंगे और कितने अपराधी होंगे, जो केस दर्ज न होने के कारण खुले घूम रहे होंगे और अपराध कर रहे होंगे।  

अब इससे नाराज पटना उच्च न्यायालय ने इसके पर्यवेक्षण समिति में विधि सचिव के स्थान पर निगरानी के लिए हाईकोर्ट के महानिबंधक (DG) को नियुक्त कर दिया है। राज्य पर्यवेक्षण समिति ने अब तमाम जिलों के DM, SSP व SP से इन मामलों में एक हफ्ते के भीतर एक्शन  रिपोर्ट देने को कहा है। गृह विभाग के अभियोजन निदेशक ने इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने सभी DM व SSP के साथ ही SP को इस संबंध में सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने उच्च न्यायालय के सख्त आदेश का हवाला देते हुए बताया है कि पूरे बिहार में अदालत के आदेश के बावजूद FIR दर्ज न होने की शिकायतें प्राप्त हुईं हैं। उच्च न्यायालय ने ऐसे 14996 मामलों को सूचीबद्ध करते हुए पर्यवेक्षण समिति से एक्शन रिपोर्ट मांगी है।

गृह विभाग के अभियोजन निदेशक ने आगे कहा है कि इस गंभीर मामले में सभी DM, SSP व SP पर्यवेक्षण करें और एक हफ्ते में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट जमा करें, ताकि उच्च न्यायालय के महानिबंधक (DG) को वस्तुस्थिति की जानकारी दी जा सके। उच्च न्यायालय और उसके बाद अभियोजन निदेशक की सख्ती से तमाम जिलों में हड़कंप मच गया है। सभी जिलों के SSP व SP ने संबंधित थानों को FIR दर्ज कर अपना प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है।

उधर, उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों की निगरानी के लिए राज्यस्तरीय पर्यवेक्षण समिति गठित कर दी है। इसका नेतृत्व इससे पहले तक विधि सचिव के हाथों में थी, लेकिन काफी समय तक मामलों में कार्रवाई न होने के बाद उच्च न्यायालय ने उनकी जगह हाई कोर्ट के DG को तैनात कर दिया है। अभियोजन निदेशक का कहना है कि राज्य में ऐसे भी हजारों केस लंबित हैं, जिनमें FIR दर्ज होने के 300 दिन बाद भी चार्जशीट फाइल नहीं की गई है। ऐसे मामलों में भी पर्यवेक्षण समिति समीक्षा करेगी और उच्च न्यायालय में रिपोर्ट जमा करेगी। ऐसे मामलों की सूची के साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की गई है। उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद अब तमाम जिलों में कोर्ट के आदेश पर लंबित FIR व FIR दर्ज होने के 300 दिन बाद भी लंबित चार्जशीट के मामलों की तलाश शुरू हो गई है।

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