देश में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भारत सरकार ने एक तरीका निकाला था. जिसमे सभी डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजन में परिवर्तित किया जाएगा. तथा डीजल के इंजनों से हो रहा प्रदूषण नियंत्रित होगा. बता दे, पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डीजल से इलेक्ट्रिक में बदले पहले इंजन को हरी झंडी दिखाई गई थी. उसके बाद अब रेलवे अपनी इस योजना पर फिर विचार कर रहा है. कि पुराने हो रहे डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजनों में परिवर्तित करना आर्थिक और तकनीकी रूप से सर्वश्रेष्ठ तरीका है या नहीं.
वही रेलवे ने 2018 में कहा था, कि वह अपने सभी डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजनों से परिवर्तित करने की योजना बना रहा है. इसी बीच रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने अपने बयान में कहा, कि इस योजना के फायदे और नुकसान का आकलन करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है जिसके 15 अगस्त तक रिपोर्ट देने की संभावना है. बता दे, की अभी तक तीन डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदला गया है जिसमें से प्रत्येक पर दो करोड़ रुपये की लागत आई है. वीके यादव ने आगे बताते हुए कहा, कि रेलवे अपने डीजल इंजनों को पड़ोसी देशों को निर्यात करने पर भी विचार कर रहा है.
शुक्रवार को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी.के. यादव ने इसके साथ-साथ बताया, कि रेलवे ने 230 ट्रेन सेवाओं के अलावा किसी भी नई ट्रेन सेवाओं की घोषणा नहीं की है. उन्होंने बताया कि कई राज्य सरकारों ने कोरोना वायरस के चलते ट्रेनों के फेरों में कमी की है. इसके साथ-साथ ट्रेनों के रुकने को भी रद्द किया जा रहा है. एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वीके यादव ने कहा कि हम राज्य सरकार के साथ निरंतर संपर्क में हैं, और राज्य में कोरोना वायरस के चलते हम कुछ ट्रेनों को रद करने, ट्रेनों के फेरे कम करने और कभी ट्रेनों के स्टॉपेज को भी रद करते हैं. कोरोना की स्थिति में सुधार होने के पश्चात् ही कोई निर्णय लिया जा सकता है.
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