नई दिल्ली: देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों की तरफ लौटना पड़ा. श्रमिकों की घरवापसी में बड़ी भूमिका श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की भी रही. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का औसत किराया 600 रुपये प्रति यात्री रहा. इंडियन रेलवे ने इस सम्बन्ध में जानकारी दी है. 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 60 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाया गया.
ट्रेन के माध्यम से इंडियन रेलवे को 360 करोड़ का रेवेन्यू प्राप्त हुआ. ट्रांसपोर्टर ने 4,450 श्रमिक स्पेशल ट्रोनों को चलाया, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि, 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का औसत किराया 600 रुपये प्रति व्यक्ति है. यह ध्यान में रखना होगा कि ये मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों का सामान्य किराया है, विशेष ट्रेनों के किराए नहीं हैं जो ज्यादा होते हैं. हमने 60 लाख मुसाफिरों को उनके घर पहुंचाया है. हमने सिर्फ कॉस्ट ऑफ ऑपरेशन का 15 फीसदी खर्च रिकवर किया है. 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार की तरफ से वहन किया गया है.'
अधिकारियों का कहना है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के ऑपरेशन में कुल 75 से 80 लाख रुपये खर्च हुए हैं. वीके यादव ने यह कहा कि अधिकतर प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचा दिया गया है, बहुत कम ही मजदूरों को पहुंचाया जाना बाकी है. उन्होंने कहा है कि, 'हमने 3 जून को ही राज्य सरकारों से कहा है कि वे ट्रेनों के संबंध में अपनी मांगे जाहिर करें, विभिन्न राज्यों की तरफ से हमसे 171 और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग की गई है.'
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