नई दिल्ली : देश में प्रगति के बावजूद यदि सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) की चुनौती नही होती तो भारत की स्थिति कुछ और होती, फिर भी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया है.
एक कार्यक्रम में मौरिस ने कहा कि आर्थिक ताकतों का जटिल जोड़ लगातार सुस्त आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य को आकार दे रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं, चीन ने भी अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है. भारत एक उम्मीद की किरण है. भारत में मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा (कैड) राजकोषीय घाटा नीचे आ रहा है.
मौरिस ने स्पष्ट किया कि यहां कुछ बुनियादी चुनौतियां हैं. काफी प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों का बढ़ता एनपीए चुनौती है. बता दें कि इससे पहले इसी महीने आईएमएफ ने 2016 और 2017 में भारत की वृद्धि दर उच्चस्तर पर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
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