पेरिस सम्मेलन के पहले मसौदे पर भारत ने जताई अपनी सहमति
पेरिस सम्मेलन के पहले मसौदे पर भारत ने जताई अपनी सहमति
Share:

पेरिस : पेरिस में चल रहे जलवायु परिवर्तन के पांचवें दिन गुरुवार को पेरिस समझौते का पहला खाका तैयार किया गया। जिस पर भारत ने भी अपनी सहमति जताई है और कहा है कि यह संतोषजनक और प्रगतिकारक है। प्रधानमंत्री कार्यालय के जलवायु परिवर्तन के सदस्य अजय माथुर ने कहा कि इस वक्त यह मसौदा छोटा है लेकिन हमने जो कुछ प्रस्ताव दिया था वह इसमें अब भी है। इसमें पांच पन्ने कम हैं। माथुर ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने मसलों के निवारण के लिए आगे बढ़ने की तात्कालिकता के बारे में बात की है और भारत समझौते की ओर आगे बढ़ने के लिए साथ मिल कर काम करना जारी रखेगा।

भारत ने कोयले पर निर्भरता घटाने के लिए नवीकरणीय उर्जा के लिए बी वैश्विक सहयोग की मांग की थी। माथुर ने कहा कि शुक्रवार की शाम को वार्ता के मसौदे को प्रेसीडेंसी को सौंपा जाएगा जो विभिन्न अनसुलझे पहलुओं के लिए फिर से समूह बनाएगी। इसके बाद वार्ताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह मसौदा कुल 54 पन्नों का है, जिस पर तीन दिनों तक बातचीत का दौर चला। इसके बावजूद वार्ताकारों ने कुछ छोटा मसौदा पेश किया है। इसमें मौजूद 250 ऐसे अनसुलझो विचार है, जिन पर अब तक सहमति नही बन पाई है।

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली की लागत को घटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग मांगा है ताकि यह निश्चित हो सके कि देश में उर्जा के बड़े हिस्से की आपूर्ति इस क्षेत्र से हो। नवीकरणीय उर्जा के विषय में जानकारी देते हुए माथुर ने कहा कि हमारे नवीकरणीय उर्जा महत्वाकांक्षा के बारे में काफी संख्या में दावे किए गए हैं। हम यह निश्चित करना चाहते हैं कि नवीकरणीय उर्जा अधिक मात्रा में बिजली उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द नवीकरणीय स्रोतों से बिजली की लागत कम हो जाए। कीमत को कम करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा। हम कीमतों को नीचे लाने के लिए अंतराष्ट्रीय सहायता की भी आशा कर रहे है।

सम्मेलन के तीसरे दिन माथुर ने कहा था कि हम साझेदारी चाहते है और अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन एक ऐसा ही उदाहरण है जो हमें उस दिशा में बढ़ने में मदद करेगा। जब माथुर से यह पूछा गया कि क्या उर्जा पैदा करने के लिए कोयले का इस्तेमाल करने की भारत की योजना का असर किसी भी तरह से वार्ताओं पर पड़ रहा है, माथुर ने कहा कि ऐसी बात नहीं है।

ग्रीनपीस के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति प्रमुख मार्टिन कैसर ने कहा कि जब मंत्री अगले हफ्ते पहुचेंगे तब वो अब तक की प्रगति को देखेंगे। बता दें कि माथुर ने कहा था कि यदि विकसित देश भारत की मदद करने को तैयार है,तो भारत कोयले पर अपनी निर्भरता और अधिक घटाने के लिए भी तैयार है।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -