कुम्हार की तरह होता है जीवन में शिक्षक का महत्व
कुम्हार की तरह होता है जीवन में शिक्षक का महत्व
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नईदिल्ली। देशभर में आज शिक्षकों का सम्मान किया जा रहा है। दरअसल यह दिन सर्वपल्लि डाॅ. राधाकृष्णन को समर्पित है। सर्वपल्लि डाॅ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे हैं। मगर अपने जीवनकाल में उन्हें एक कुशल राष्ट्रपति के साथ कुशल शिक्षक के तौर पर जाना जाता है। सर्वपल्लि डाॅ. राधाकृष्ण का व्यक्तित्व बेहद प्रभावशाली था। दरअसल वर्ष 1962 से प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का त्यौहार मनाया जाता है।

गुरू और शिष्य की अनूठी  परंपरा के प्रवर्तक डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 40 वर्षों तक शिक्षक के तौर पर कार्य किया। डाॅ. राधाकृष्णन का मत था कि शिक्षक का कार्य केवल विद्यार्थियों का अध्ययन करवाना नहीं बल्कि अध्ययन करवाते हुए उनका बौद्धिक विकास करना था। शिक्षा मानव और समाज का एक महत्वपूर्ण आधार रही है। उन्होंने मानवीय जीवन में नैतिक मूल्यों क महत्व को उत्घाटित किया।

उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का निर्माण करने वाला होता है, वह समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। पुस्तक वह माध्यम है जिसके द्वारा संस्कृतियों के मध्य एक सेतु का निर्माण किया जा सकता है यह बात भी राधाकृष्णन ने कही थी। मिली जानकारी के अनुसार स्कूल व काॅलेज समेत विभिन्न संस्थाओं में शिक्षक दिवस के मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

विद्यार्थी अपने गुरूओं का सम्मान करते हैं। कहा जाता है कि शिक्षक ही जीवन में बड़ा बदलाव लाते हैं। बच्चे की प्रथम पाठशाला उसकी माता होती है इसके बाद शिक्षक ही उसके जीवन में व्यापक बदलाव लाते हैं। वे कुम्हार की तरह व्यक्ति को निखारने के लिए बाहर से तो चोट करते हैं मगर अंदर से उन्हें सहारा जरूर देते हैं।

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