हर साल आने वाली विजय एकादशी इस साल 2 फरवरी यानी शनिवार को मनाई जाने वाली है. ऐसे में विजया एकादशी का व्रत एवम् पूजन सभी लोग करते हैं और माना जाता है कि विजया एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति के शुभ फलों में वृद्धि तथा अशुभता का नाश होता है. ऐसे में आज हम बताने जा रहे हैं विजया एकादशी पौराणिक महत्व.
विजया एकादशी पौराणिक महत्व - कहते हैं विजया एकादशी का पौराणिक महत्व श्री राम से जुडा़ हुआ है जिसके अनुसार विजया एकादशी के दिन भगवान श्री राम लंका पर चढाई करने के लिये समुद्र तट पर पहुंचे और समुद्र तट पर पहुंच कर भगवान श्री राम ने देखा की सामने विशाल समुद्र है और उनकी पत्नी देवी सीता रावण कैद में है. इसके बाद भगवान श्री राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की. परन्तु समुद्र ने जब श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तो भगवान श्री राम ने ऋषि गणों से इसका उपाय पूछा. ऋषियों में भगवान राम को बताया की प्रत्येक शुभ कार्य को शुरु करने से पहले व्रत और अनुष्ठान कार्य किये जाते है.
कहते हैं व्रत और अनुष्ठान कार्य करने से कार्यसिद्धि की प्राप्ति होती है, और सभी कार्य सफल होने लगते हैं. ऐसा भी कहते हैं कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने से बहुत लाभ होता है और भगवान श्री राम ने ऋषियों के कहे अनुसार व्रत किया, इसी के प्रभाव से समुद्र ने उनको मार्ग प्रदान किया और यह व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में मददगार बना. वहीं इस व्रत की महिमा का गुणगान किया जाता है जो आज भी सर्वमान्य है और विजय प्राप्ति के लिये जन साधारण द्वारा किया जाता है.
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