समान नागरिक संहिता बनाना सरकार का कर्तव्य है
समान नागरिक संहिता बनाना सरकार का कर्तव्य है
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नई दिल्ली : शुक्रवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार ने कहा कि देश में सामान नागिरक संहिता को लागू करना सरकार का कर्तव्य है, लेकिन यह मामला बेहद संगीन है। इसलिए इसमें गूढ़ अध्ययन किए जाने की दरकार है। इसी कारण पहले इसे विधि आयोग के पास सिफारिश के लिए भेजा जाएगा। सरकार ने यह जवाब तब दिया जब समाजवादी पार्टी के नेता विश्वंभर प्रसाद निषाद, बीजेपी के प्रभात झा, कांग्रेस के शांताराम नाइक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा ने सरकार से लिखित रुप में इस संबंध में प्रश्न पूछा।

इसका जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर ने उपरोक्त बाते कहीं। समान नागरिकता कानून का अर्थ भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून से है। एक सेक्युलर कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। भारतीय संविधान में भी नीति निर्देशक तत्वों के तहत समान नागरिक कानून की बात कही गई है।

इसके अंतर्गत व्यक्तिगत स्तर, संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार, विवाह, तालक व गोद लेने जैसे कानून आते है। इसके अभाव में महिलाओं के बीच आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा बढ़ती जा रही है। हांला कि गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है।

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