अफसरों की अनदेखी से सिंचाई विभाग को हुआ नुकसान, इतने स्थानों पर हुए अवैध कब्जे
अफसरों की अनदेखी से सिंचाई विभाग को हुआ नुकसान, इतने स्थानों पर हुए अवैध कब्जे
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लखनऊ में सरकारी महकमों में मिलीभगत और अफसरों की अनदेखी के चलते राजधानी में सिंचाई विभाग की जमीनों पर 44 स्थानों पर अवैध कब्जे हो गए हैं. जो अब सरकार के लिए चिंता का विषय बन गए है. सरकारी जमीनों पर इमारते खड़ीं हैं और नदी-नहरों को भी अतिक्रमण ने चपेट में ले लिया है. अब सिंचाई विभाग की जमीनों को मुक्त कराने के लिए जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने 15 मार्च से लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राजधानी सहित पूरे प्रदेश में सिंचाई विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जों की भरमार है. पूरे प्रदेश में डेढ़ हजार से अधिक जगहों पर अवैध कब्जे चिन्हित किए गए हैं.अवैध कब्जों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सोमवार को जलशक्ति मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने योजना भवन में समीक्षा बैठक में प्रदेशव्यापी अभियान चलाने के निर्देश दिए जिसकी शुरुआत राजधानी से होगी. मंत्री ने कहा कि अवैध कब्जेदारों के नाम वेबसाइट पर डालकर सोशल मीडिया पर भी प्रचारित करें. 10 मार्च तक अगर लोग खुद कब्जे न हटाएं तो फिर सख्त कार्रवाई करें. अभियान के लिए डीएम लखनऊ अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाई गई है. पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सिंचाई विभाग को स्थायी रूप से पुलिस दी जाएगी. मंडलायुक्त मुकेश मेश्रम ने कहा कि कब्जेदारों के खिलाफ भूमाफिया के तहत कार्रवाई होगी. लखनऊ में भी सरोजनीनगर, सदर और मोहनलालगंज तहसीलों में कब्जे हैं. गोमती किनारे कई जगहों पर अतिक्रमण है. कुछ जगहों पर रियल स्टेट कालोनियां और पार्क विकसित किए जा रहे हैं. एक चर्चित व्यवसायी ने सिंचाई विभाग की जमीन पर अपना अपार्टमेंट ही खड़ा कर दिया है जो फिलहाल सील है.

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इस मामले को लेकर प्रदेश में सिंचाई विभाग की कुल 1772 संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं जिनको कब्जामुक्त करने के लिए प्रदेश भर में टीमें गठित करने के निर्देश दिए गए. प्रमुख सचिव टी. वेंकटेश ने आश्वस्त किया कि विभाग की 400 करोड़ रुपये की संपत्ति को संरक्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा.जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि अवैध कब्जेदार सूचीबद्ध किए जा रहे हैं. सभी के नाम सिंचाई विभाग की वेबसाइट पर डाले जाएंगे और मीडिया के जरिए उजागर किए जाएंगे, ताकि सामाजिक दबाव में खुद ही कब्जे हटा लें. यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर दंडात्मक कार्रवाई होगी.

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