बॉलीवुड में महिला प्रधान फिल्मे करने के लिए मशहूर अभिनेत्री विद्या बालन ने कहा कि सिने जगत में उन्हें अपशकुनी माना जाता था क्योंकि उनकी साडी फिल्में उन दिनों ठंडे बस्ते में जा रही थीं. ‘वूमन इकोनॉमिक फोरम’ के दौरान विद्या ने कहा ‘मेरे परिवार का भी मानना था कि सिनेमा की दुनिया बहुत खराब होती है. मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं सिर्फ एक फिल्म करूंगी और फिर छोड़ दूंगी.
मुझे मलयालम फिल्म के लिए साइन किया गया और वह भी रिलीज नहीं हुई. उन्होंने कहा, बाद में मेरे पास और तीन फिल्में आयीं, लेकिन वे भी ठंडे बस्ते में चली गयीं. मुझे अपशकुनी कहा गया. मुझे इस कारण फिल्मों से निकाला गया. विद्या का कहना है कि शुरूआत के संघर्ष के दिनों में उनके माता-पिता ने उनका खूब साथ दिया. जो पहले उन्हें फिल्मों में नहीं आने देना चाहते थे, अब उनकी इच्छा थी कि एक फिल्म तो पूरी हो.
उन्होंने बताया कि मैं यूफोरिया (बैंड) के लिए शूटिंग कर रही थी उसी दौरान प्रदीप सरकार (परिणीता के निर्देशक) से मिली थी. मैंने कहा कितने आए और कितने गए. मुझे उन पर यकीन नहीं था, लेकिन बाद में मैंने उनके साथ परिणीता की. फिल्म में सैफ अली खान और संजय दत्त भी अहम रोल में थे.