अचानक कैसे बदल गए तुर्किये के तेवर ? राष्ट्रपति एर्दोगन ने किया भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता देने का समर्थन
अचानक कैसे बदल गए तुर्किये के तेवर ? राष्ट्रपति एर्दोगन ने किया भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता देने का समर्थन
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नई दिल्ली: G20 समिट के बाद से भारत के प्रति दुनिया के रुख में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है। विश्व के कई देश तो पहले से ही भारत के प्रशंसक हैं, लेकिन अब दुश्मनों का मिजाज भी बदलने लगा है। कश्मीर मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान का साथ देने वाला और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की खिलाफत करने वाला तुर्किये भी इन्ही देशों में शामिल है। लेकिन, अब तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) ने रविवार (10 सितंबर) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के भारत के प्रयास को अपना समर्थन दिया। 

G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में एर्दोगन ने कहा कि, 'यह गर्व की बात थी कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भूमिका निभा रहा था। मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 15 "अस्थायी" सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन करता हूं। एर्दोगन ने दोनों देशों के बीच सहयोग की विशाल क्षमता का दोहन करने पर विश्वास व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि, 'भारत दक्षिण एशिया में हमारा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। और हम इस साल की शुरुआत में तुर्किये में हुए चुनाव के बाद, मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की महान संभावनाओं का दोहन करने में सक्षम होंगे।'

राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी और 15 “अस्थायी” सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि, 'उन 20 (5+15) को रोटेशन में UNSC का स्थायी सदस्य होना चाहिए। लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, दुनिया पाँच से भी बड़ी है। जब हम कहते हैं कि दुनिया पाँच से बड़ी है, तो हमारा मतलब यह है कि यह केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के बारे में नहीं है।' एर्दोगन ने प्रस्ताव दिया कि UNSC में एक घूर्णी तंत्र होना चाहिए जहां प्रत्येक 195 देश संभावित रूप से सदस्य बन सकें। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति एर्दोगन के साथ व्यापार और बुनियादी ढांचे संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि, "हमने भारत और तुर्की के बीच व्यापार और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के तरीकों के बारे में बात की।"

तुर्किये में भीषण भूकंप और भारत की मदद:-

बता दें कि, यह वही तुर्किये है, जहाँ इसी साल भूकंप में 50 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई थी,  और भारत उसे मदद पहुंचाने वाला पहला देश बना था, भारतीय-अमेरिकियों ने फंड जुटाकर 3 लाख डॉलर पीड़ित लोगों के लिए भेजे थे। भारत की आत्मीय मदद देखकर तुर्किये के लोगों का कहना था कि, हमारे लिए ऊपर अल्लाह है और उसके बाद आप ही हो। हालाँकि, इस मदद के बावजूद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की बैठक में ​तुर्किये ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया था, जब भारत उसे आतंकवाद के मुद्दे पर लताड़ लगा रहा था। उस समय तुर्किये, पाकिस्तान के बचाव में था और भारत को कश्मीर में मानवाधिकार पर नसीहत दे रहा था, हालाँकि आज G20 के बाद जब तुर्किये, भारत को UNSC में स्थायी सीट देने की वकालत कर रहा है, तो ये जरूर भारत सरकार की कूटनीतिक जीत मानी जानी चाहिए।

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