भारतीयों से ज्यादा हिन्दी के मुरीद हैं विदेशी
भारतीयों से ज्यादा हिन्दी के मुरीद हैं विदेशी
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नई दिल्ली। भारतीय भाषाओं में हिन्दी भाषा का अपना अलग ही महत्व है, हाल ही में हिन्दी भाषा ने विदेशी सरजमीं पर अपनी अलग ​ही छाप स्थापित की है, अमेरिका में हुए एक सर्वे के मुताबिक हिन्दी भाषा को प्रथम श्रेणी में रखा गया है और इसके बाद गुजराती और तेलुगू भाषा का नंबर आया है। विदेश में 2010 के आंकड़ों की तुलना में  2017 के आंकड़ों में तेलुगू भाषी लोगों में 86 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 

अभी हाल ही में हुए यूएस सेंसस ब्यूरो 2017 द्वारा अमेरिकी समुदाय सर्वे किया गया है जिसमें पाया गया है कि विदेशी लोग अपनी आम भाषा के अलावा भी एक भाषा बोलते है, जो लगातार उनके प्रचलन में आने लगी है। अमेरिकी धरती पर हिन्दी भाषा का चलन बड़ गया है। इसके अलावा तेलुगू भाषा भी लोगों के चलन में आ गई है, वहीं गुजराती भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या अभी कम आंकी गई है। 

सीआईएस की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या 1980 की तुलना में 1990 में दोगुनी और अब तिगुनी हो गई है। अमेरिका के मुख्य शहरों में विदेशी भाषा बोलने वाले लोगों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। इनका अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा को बोलने का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, एसीएस अमेरिकी सरकार द्वारा कराया जाने वाला सबसे बड़ा सर्वे है, जिसमें 20 लाख से ज्यादा घरों को शामिल किया जाता है। 

2016 के आंकड़ों के अनुसार 30 करोड़ लोग घरों में विदेशी भाषा बोलते थे,अमेरिका में करीब 9 लाख लोग हिन्दी बोलते हैं इसके बाद 5 लाख लोग तेलुगू और 4 लाख लोग गुजराती भाषा बोलते हैं। वर्तमान समय में तेलुगू भाषी लोगों मेें 86 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जो हिन्दी और गुजराती भाषा बोलने वालों की तुलना में अधिक है।

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