खुद को 'शरीयत पीड़ित' बताकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हसीन जहां, मांग- पूरे देश में एक ही हो 'तलाक़' का कानून
खुद को 'शरीयत पीड़ित' बताकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हसीन जहां, मांग- पूरे देश में एक ही हो 'तलाक़' का कानून
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नई दिल्ली: टीम इंडिया के तेज गेंदबाज़ मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहाँ ने सर्वोच्च न्यायालय में अपने आप को शरीयत (इस्लामी कानून) से पीड़ित बताया है। उन्होंने अदालत से एक समान तलाक कानून की माँग की है। हसीन जहाँ ने कहा है कि इस्लामी कानून (शरिया) के कारण मर्द सनक और मनमर्जी से अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं। इसलिए हसीन जहाँ ने सुप्रीम कोर्ट से तलाक-उल-हसन और न्यायिक दायरे के बाहर तलाक देने के मुसलमानों में परिपाटी को खत्म करने की विनती की है।

सनक के कारण पत्नी को छोड़ देते हैं मर्द :-

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हसीन जहाँ ने वकील दीपक प्रकाश के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका दाखिल की है। याचिका में दवा किया गया है कि हसीन जहाँ, शरीयत कानून के तहत मिलने वाले तलाक की एकतरफा प्रक्रिया तलाक-उल-हसन की पीड़ित हैं। मोहम्मद शमी ने हसीन जहाँ को 23 जुलाई 2022 को पहली दफा तलाक का नोटिस भेजा था। यह नोटिस तलाक-उल-हसन के तहत ही भेजा गया था। याचिका में आगे कहा गया है कि शरीयत कानून में तलाक-उल-हसन और तलाक-ए-बिद्दत के साथ ही तलाक देने की कई प्रक्रिया हैं। इन प्रक्रियाओं के तहत मर्द अपनी मर्जी या सनक के कारण पत्नी को छोड़ देते हैं। शरीयत के इन नियमों की वजह से मर्द तलाक से पहले महिलाओं को सुलह करने का अवसर ही नहीं देते। बिना किसी बातचीत के ही उन पर फैसला थोप दिया जाता है।

पूरे भारत में एक ही हो तलाक का कानून :-

हसीन जहाँ ने अपनी याचिका में कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत एक्ट-1937 की धारा 2, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। इसलिए इस धारा को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए। साथ ही तलाक को लेकर धर्म या लिंग का भेदभाव किए बगैर भारत के सभी नागरिकों के लिए तलाक का एक समान कानून होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। साथ ही अदालत ने कहा है कि वह ‘तलाक-ए-हसन’ को चुनौती देने वाली पहले से विचाराधीन याचिकाओं पर सुनवाई के साथ ही इस याचिका पर सुनवाई करेगा।

बता दें कि मोहम्मद शमी और उनकी बीवी हसीन जहां का तलाक नहीं हुआ है। मगर 4 वर्षों से ज्यादा समय से दोनों अलग रह रहे हैं। अदालत के आदेश के मुताबिक, शमी हसीन जहां को प्रति माह 1 लाख 30 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देते हैं। इसमें से 80000 रुपए उनकी बेटी की पढ़ाई-लिखाई व अन्य खर्चों में जाते हैं।

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