साहित्य के क्षेत्र की पहचान है सुभद्रा कुमारी चौहान
साहित्य के क्षेत्र की पहचान है सुभद्रा कुमारी चौहान
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सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गांव में रामनाथसिंह के जमींदार परिवार में हुआ था. बाल अवस्था से ही वे कविताएँ रचने लगी थीं. उनकी रचनाएँ राष्ट्रीयता की भावना से भरपूर होती थी.सुभद्रा कुमारी चौहान, 4 बहने और 2 भाई थे. उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्हीं की देख-रेख में उनकी शुरुआती शिक्षा शुरू हुई. 1919 में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ शादी के उपरांत वे जबलपुर आ गई थीं. 

1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वह पहली महिला थीं. वे 2 बार जेल भी जा चुकी थीं. सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी, इनकी पुत्री, सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में लिखी है. इसे हंस प्रकाशन, इलाहाबाद ने प्रकाशित किया है. वे एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी में से एक थीं. डॉo मंगला अनुजा की पुस्तक सुभद्रा कुमारी चौहान के साहित्यिक व स्वाधीनता संघर्ष के जीवन को दोहराती है. साथ ही स्वाधीनता आंदोलन में उनके कविता के द्वारा नेतृत्व को भी रेखांकित कर रही है. 15 फरवरी 1947 को एक कार दुर्घटना में उनका आकस्मिक देहांत हो गया था.

कथा साहित्य: 'बिखरे मोती' उनका प्रथम कहानी संग्रह है. इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंझलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल 15 कहानियां हैं! इन कहानियों की भाषा सरल बोलचाल की भाषा है! अधिकांश कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित हैं! उन्मादिनी शीर्षक से उनका दूसरा कथा संग्रह 1934 में छपा. इस में उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, व वेश्या की लड़की कुल 9 कहानियां हैं. इन सब कहानियों का मुख्य स्वर पारिवारिक सामाजिक परिदृश्य ही है. 'सीधे साधे चित्र' सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है. इसमें कुल 14 कहानियां हैं. रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला - 8 कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्यायें हैं. हींगवाला, राही, तांगे वाला, एवं गुलाबसिंह कहानियां राष्ट्रीय विषयों पर आधारित हैं. सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल 16 कहानियां लिखी और अपनी व्यापक कथा दृष्टि से वे एक अति लोकप्रिय कथाकार के रूप में हिन्दी साहित्य जगत में सुप्रतिष्ठित हैं!

 

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