जानिए किस तरह शुरू हुआ वेंकैया नायडू का राजनितिक करियर
जानिए किस तरह शुरू हुआ वेंकैया नायडू का राजनितिक करियर
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नई दिल्ली: वेंकैया नायडू वर्तमान उपराष्ट्रपति हैं. वहीं आज वह अपना 70वां जन्मदिन मना रहे है. वह वर्ष 2002 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. केंद्र में विभिन्न विभागों के मंत्री पदों को भी सुशोभित कर चुके है. भारत के सत्ताधारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ (एनडीए) ने 17 जुलाई 2017 को उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित किया. 5 अगस्त 2017 को हुए चुनाव में गोपालकृष्ण गाँधी को पराजित करके वे भारत के तेरहवें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए और 11 अगस्त 2017 को उपराष्ट्रपति बने.

वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में एक कम्मू(कायस्थ परिवार) में हुआ था. उन्होंने वी.आर. हाई स्कूल, नेल्लोर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वी.आर. कॉलेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में स्नातक किया. वे स्नातक प्रतिष्ठा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये. तत्पश्चात उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की. 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये. कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रह चुके हैं.

वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक 'आंदोलनकारी' के रूप में रही है. वे 1972 में 'जय आंध्र आंदोलन' के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए. उन्होंने इस दौरान नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुये विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया. छात्र जीवन में उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया. वे आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. आपातकाल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे. वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया. वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और नरेन्द्र मोदी की सरकार में वे भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री है. अपने भाषणों में तुकान्त शब्दों का प्रयोग करके वे अपनी बात सरस ढंग से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं. अपनी मातृभाषा तेलुगु के साथ वे हिन्दी और अंग्रेजी में भाषण करते हैं. वे गम्भीर चिन्तक भी हैं. अगस्त 2017 में उनकी पुस्तक 'टायरलेस वॉयस रिलेन्टलेस जर्नी' का विमोचन हुआ. फरवरी 2018 में उनकी पुस्तक 'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन ऑफिस' प्रकाशित हुई थी. हाल ही में (अगस्त 2019) उनकी एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका नाम है- 'लिस्निंग, लर्निग एंड लीडिंग.

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