यहाँ जानिए हल छठ की व्रत कथा
यहाँ जानिए हल छठ की व्रत कथा
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हर साल मनाया जाने वाला हलछठ का पर्व इस साल 9 अगस्त को मनाया जाने वाला है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन की व्रत कथा. जी दरअसल इस दिन कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्मोत्सव होता है. तो आइए जानते हैं इस दिन से जुडी कथा.

व्रत कथा - एक ग्वालिन गर्भवती थी. उसका प्रसवकाल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी. कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया. उस दिन हल षष्ठी थी. थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ दूध-दही बेचने चली गई. गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों ठग लिया. इससे व्रत करने वालों का व्रत भंग हो गया.

इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे स्थित पड़े उसके बच्चे को किसान का हल लग गया. दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांकें लगाए और चला गया. ग्वालिन लौटी तो बच्चे की ऐसी दशा देख कर उसे अपना पाप याद आ गया. उसने तत्काल प्रायश्चित किया और गांव में घूम कर अपनी ठगी की बात और उसके कारण खुद को मिली सजा के बारे में सबको बताया. उसके सच बोलने पर सभी ग्रामीण महिलाओं ने उसे क्षमा किया और आशीर्वाद दिया. इस प्रकार ग्वालिन जब लौट कर खेत के पास आई तो उसने देखा कि उसका मृत पुत्र तो खेल रहा था. इस वजह से हल षष्ठी के व्रत का बड़ा महत्व है.

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