देश के किसान आंदोलन कर रहे यही जो दस जून तक जारी रहेगा इसी बीच चीनी मिलों के लिये 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा किये जाने की खबर मिल रही है. हालांकि इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है मगर 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि गणना किसानो की हो गई है और सरकारी खजाने खाली है. खबरों की माने तो मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.
क्या तकलीफे है -
पिछले महीने सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 1500 करोड़ रुपये की उत्पादन से संबद्ध सब्सिडी की घोषणा की
चीनी उत्पादन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर - सितंबर) में अब तक 3.16 करोड़ टन के रिकॉर्ड उत्पादन के बाद चीनी कीमतों में तेज गिरावट आने से चीनी मिलो का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है.
सबसे बड़े गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश में ही किसानों की 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बकाया है.
चीनी मिलों को 4,500 करोड़ रुपये पर छह फीसदी ब्याज सब्सिडी का प्रस्ताव दिया है.
योजना चीनी मिलों को ऋण चुकाने के लिए पांच साल की अवधि दे रही है.
ब्याज सब्सिडी के कारण सरकार को 1,200 करोड़ रुपये का बोझ वहन करना होगा.
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