दिवालिया कंपनियों के नए मालिक को नहीं मिलेगी पिछले के किये की सजा
दिवालिया कंपनियों के नए मालिक को नहीं मिलेगी पिछले के किये की सजा
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दिवालिया कंपनियों के नए मालिकों को बीते मालिकों के अपराध की सजा से बचाने के लिए सरकार दिवाला कानून (इनसॉल्वेंसी कोड) में बदलाव करने जा रही है। इस मामले से वाकिफ कम से कम तीन सूत्रों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट जल्द ही इसके लिए तीन वर्ष पुराने इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में परिवर्तन को मंजूरी दे सकती है। एक सूत्र ने बताया, ‘सरकार जल्द ही दिवाला कानून में बदलाव की कैबिनेट से मंजूरी लेगी ताकि नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) के जरिये खरीदी गई कंपनियों को सुरक्षा मिल सके।' उन्होंने बताया, 'इससे ऐसी संपत्तियों को खरीदने वालों का भरोसा बढ़ेगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो इन एसेट्स को खरीदने वालों के कानून की गिरफ्त में फंसने का डर बना रहेगा।'

एक मिडिया रिपोर्टर ने 4 दिसंबर को खबर दी थी कि स्टील क्षेत्र की दिग्गज कंपनी आर्सेलरमित्तल ने एस्सार स्टील सौदे में कंपनी या इसके बीते प्रमोटरों रुइया परिवार की जांच को लेकर भविष्य में बचाव का आश्वासन मांगा था। आर्सेलरमित्तल ने दिवाला कानून की प्रक्रिया के तहत एस्सार स्टील को खरीदा है। दिसंबर 2016 में बने IBC में संशोधन के लिए आखिरकार संसद की मंजूरी लेनी पड़ेगी। इसके अलावा, संसद का मौजूदा सत्र इस हफ्ते खत्म हो रहा है। भूषण पावर ऐंड स्टील मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप को लेकर एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने पूर्व प्रमोटरों सिंघल परिवार की संपत्ति जब्त कर ली गयी थी, जिससे दिवालिया अदालत के तहत कंपनी खरीदने वालों की चिंता बढ़ी थी। जब JSW स्टील, भूषण पावर और स्टील को खरीदने जा रही थी, तब ईडी ने सिंघल परिवार की संपत्ति कुर्क की थी। इस मामले को लेकर इस पर भी बहस हुई थी कि दिवालिया कंपनी की संपत्ति को लेकर ईडी और नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) में से किसे तरजीह दी जाएगी। बीते अक्टूबर में NCLAT ने इस मामले में ईडी की कड़ी आलोचना की थी और उसने भूषण पावर एंड स्टील की संपत्तियों से जब्ती हटाने का निर्देश दिया था।

जस्टिस एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली NCLAT की बेंच ने ईडी से कहा था, ‘आप देश की अर्थव्यवस्था की हत्या कर रहे हैं। आप आग से खेल रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा था, ‘ऐसी स्थिति में कोई भी शख्स किसी दिवालिया कंपनी को नहीं खरीदेगा। दिवाला कानून को इस तरह से खत्म नहीं किया जा सकता। मनी लॉन्ड्रिंग तो कोई इंडिविजुअल करता है।’ बीते महीने देश की शीर्ष अदालत ने अरबपति लक्ष्मी मित्तल की कंपनी की एस्सार स्टील की 42 हजार करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दे दी थी। एस्सार स्टील पर बैंकों का 54,550 करोड़ रुपये बकाया है। फिलहाल , आर्सेलरमित्तल इस सौदे का पैसा बैंकों को देने से पहले दिवाला कानून में संशोधन का इंतजार कर रही है। इस कानून में संभावित परिवर्तन के बारे में ईमेल से पूछे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक वित्त मंत्रालय और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) से जवाब नहीं मिला था।

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