'गरीबों की फंडिंग कम कर रही है सरकार', सोनिया गांधी का केंद्र सरकार का हमला
'गरीबों की फंडिंग कम कर रही है सरकार', सोनिया गांधी का केंद्र सरकार का हमला
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नई दिल्ली: हाल ही में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर कहा कि ये बजट महंगाई, रिकॉर्ड बेरोजगारी एवं घटती आय जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करने में नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि हमें भारत के लोगों की आवाज सुनने के लिए मोदी सरकार एवं उनके मंत्रियों के बजट महिमामंडन को अनसुना करना चाहिए।  

UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने एक अखबार में लिखे एक लेख में बताया कि इस बजट में निर्धनों के लिए बनाई गई योजनाओं में आवंटन कमी और उनके अधिकारों में कमी की है। यह मोदी सरकार का निर्धनों पर मौन प्रहार है। सोनिया गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि इस के चलते लाखों भारतीयों ने गंभीर आर्थिक संकट को लेकर निराशा जताई। गरीब, मध्यम एवं ग्रामीण या शहरी सभी वर्ग महंगाई, बेरोजगारी और घटती आय की मार से परेशान हैं। गांधी ने कहा कि सरकार ने मनरेगा की फंडिंग एक तिहाई घटाई है, जिससे ग्रामीण श्रमिकों के लिए अवसर कम होंगे। इसके अतिरिक्त सर्व शिक्षा अभियान के लिए भी फंडिंग निरंतर 3 वर्षों तक एकसमान रहेगी। बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की कमी होगी, क्योंकि मिड-डे मील की फंडिंग 10 प्रतिशत तक घटाई गई है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाले पांच किलो मुफ्त अनाज अब आधा कर दिया गया है। इसी प्रकार अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों के लिए योजनाओं एवं बुजुर्गों के लिए पेंशन की राशि भी कम कर दी गई है। सोनिया गांधी ने पीएम मोदी से पूछा कि भारी संकट के इस दौर में सामाजिक योजनाओं पर ऐसी स्ट्राइक की क्या जरुरत थी? पीएम इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत को हाईवे, रेलवे, बंदरगाहों एवं बिजली की आवश्यकता है, मगर मानव विकास की कीमत पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए फंडिंग गलत कदम है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार जरुरी योजनाओं की फंडिंग घटाकर निर्धनों से पैसा छीन रही है। साथ ही उनके अधिकार भी कमजोर कर रही है। हमारी सरकार ने शिक्षा, भोजन, काम और पोषण के कई अधिकार गरीबों को दिए थे। गांधी ने कहा कि अधिकार आधारित कानून नागरिकों को उनकी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति में तो सहायता करते ही हैं, उन्हें सरकार से अपने अधिकार मांगने के लिए सशक्त भी बनाते हैं। 

अखाबर में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि पीएम मोदी के दिल में गरीब और कमजोर नागरिकों के अधिकारों के प्रति तिरस्कार का भाव वक़्त-वक़्त पर दिखता रहा है। उन्होंने गरीबों की योजना का संसद में मजाक उड़ाया था। यह बजट भी गरीब और मध्य वर्ग की कीमत पर अपने कुछ अमीर दोस्तों को लाभ पहुंचाने की पीएम की पसंदीदा नीति को दर्शाता है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कोरोना के चलते कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया, जिसके कारण वो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में सम्मिलित हो गए। सरकार ने बंदरगाहों और एयरपोर्ट जैसे अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को सस्ते में बेचा और एलआइसी व एसबीआइ जैसे सार्वजनिक संस्थानों को निवेश के लिए मजबूर किया। अडानी ग्रुप पर लगे इल्जामों का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि अब मोदी जी के सबसे पसंदीदा पूंजीपति पर गंभीर आरोप लग रहे हैं तथा करोड़ों भारतीयों की मेहनत की कमाई पर खतरा मंडरा रहा है, मगर मोदी जी खामोश हैं और संसद में बहस को रोक रहे हैं। इसके चलते सोनिया गांधी ने जीएसटी, नोटबंदी, कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने विनाशकारी निजीकरण ने बेशकीमती राष्ट्रीय संपत्ति को चुनिंदा निजी हाथों को सस्ते में सौंप दिया, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है। सोनिया गांधी ने पूछा कि क्या यही वह ‘अमृतकाल’ है, जिसका मोदी जी चाहते हैं कि हम उत्सव मनाएं? 

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