शिवभक्तों के लिए खुशखबरी! अब भारतीय इलाके से होकर पहुंच सकेंगे कैलाश मानसरोवर
शिवभक्तों के लिए खुशखबरी! अब भारतीय इलाके से होकर पहुंच सकेंगे कैलाश मानसरोवर
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देहरादून: शिवधाम यानी कैलाश पर्वत जाने के लिए उत्तराखंड के लिपुलेख में तैयार किया जा रहा मार्ग शीघ्र ही आरम्भ हो जाएगा। प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष सितंबर के बाद इस रास्ते को खोले जाने की उम्मीद है। अफसरों ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिथौरागढ़ के नाभीढांग में केएमवीएन हटस से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक सड़क की कटाई का काम आरम्भ कर दिया है। उनका कहना है कि यह काम सितंबर तक पूरा हो जाएगा। बीते 4 वर्षों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा किसी ना किसी वजह से स्थगित हो रही है। प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, BRO की हीरक परियोजना के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने कहा,‘हमने नाभीढ़ांग में केएमवीएन हटस से लिपुलेख दर्रे तक लगभग 6।5 किलोमीटर लंबी सड़क को काटने का काम आरम्भ कर दिया है। यदि मौसम सही रहा तो सितंबर तक काम पूरा हो जाएगा। सड़क का काम पूरा होने के पश्चात् सड़क के साथ-साथ ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ तैयार होगा।’ हीरक परियोजना को भारत सरकार ने ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ विकसित करने की जिम्मेदारी दी है। 

उत्तराखंड के इन क्षेत्रों से भी कर सकेंगे दर्शन:-
* पिथौरागढ़ जिले के नाभीढ़ांग के ठीक ऊपर 2 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी से तिब्बत में उपस्थित कैलाश पर्वत सरलता से नजर आता है। हालांकि, अब तक यह बात किसी को पता नहीं थी, मगर जब कुछ स्थानीय लोग ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी के ऊपर पहुंचे तो वहां से पवित्र कैलाश पर्वत काफी नजदीक और दिव्य नजर आया। इस बात की वास्तविकता का पता लगाने के लिए अफसरों की एक टीम जब ऊपर भेजी गई तो उनको भी कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन बहुत सरलता से हो गए। टीम में सम्मिलित सदस्य एवं धारचूला के एसडीएम दिवेश शासनी ने बताया कि ओल्ड लिपुपास से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन सरलता से हो रहे हैं।

पर्यटन विभाग का कहना है कि ओल्ड लिपुपास पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो सरल तो नहीं है, मगर यहां तक पहुंचने के लिए भी रास्ता बनाया जा सकता है। पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अफसर कीर्ति चंद्र आर्य ने बताया कि ओल्ड लिपुपास पर रास्ता बनाने के साथ ही पर्यटकों के लिए अन्य आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई जानी हैं, तत्पश्चात, इस जगह से देशभर के श्रद्धालु पवित्र कैलाश के दर्शन कर सकेंगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं। ऐसे में ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर के करीब से कैलाश पर्वत के दर्शन होने से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन गतिविधियों में गति आ सकती है। साथ ही इससे स्थानीय व्यक्तियों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा इस क्षेत्र को देश और दुनिया में एक अलग पहचान प्राप्त होगी। 

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