'भारत विकास कर रहा, चीन धीमा पड़ रहा', देख बौखलाया ग्लोबल टाइम्स, कहा- 'नीचा दिखाने के लिए...'
'भारत विकास कर रहा, चीन धीमा पड़ रहा', देख बौखलाया ग्लोबल टाइम्स, कहा- 'नीचा दिखाने के लिए...'
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नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था बीते 2 वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनी हुई है तथा कहा जा रहा है कि 2024 में भी यह शीर्ष पर बनी रहेगी. वहीं, भारत की तुलना में चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी आ रही है. इस वर्ष भारत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर चीन के मुकाबले 4-5 प्रतिशत अधिक रहने वाली है. चीन के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की इस तुलना से चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स भड़क गया है. चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र समझे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि भारत एवं चीन की अर्थव्यवस्था के बीच किसी प्रकार की तुलना करना ही गलत है.

चीनी अखबार का कहना है कि अमेरिकी दबाव के प्रभाव में चीनी एवं भारतीय अर्थव्यवस्थाओं के बीच तुलना आकर्षक विषय बन गया है. रिपोर्ट में लिखा गया, 'इस प्रकार की तुलना आकर्षित करने वाली हो सकती है मगर दोनों देशों के विकास चरण भिन्न-भिन्न हैं. दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करना दिखाता है कि लोगों में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की समझ की कमी है.' ग्लोबल टाइम्स ने एक भारतीय अखबार में छपे एक लेख का जिक्र करते हुए कहा है कि लेख का ज्यादातर भाग भारत की आर्थिक संभावनाओं के बारे में है किन्तु शीर्षक में चीन तथा भारत के बीच सीधी तुलना की गई है. दरअसल, भारचीय अखबार ने अपने लेख को शीर्षक दिया था- 'भारत विकास कर रहा, चीन धीमा पड़ रहा.' 

अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'भारतीय अखबार का लेख यह दिखाता है कि भारत की आर्थिक कामयाबियों को लेकर एक आत्मसंतुष्टि है और चीन के आर्थिक वृद्धि को बदनाम करने का इरादा है.' हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी को स्वीकार किया है. अखबार लिखता है, 'इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस वर्ष भारत की आर्थिक बढ़ोतरी प्रभावशाली रही है, विशेष तौर पर जब पूरे विश्व में मंदी छाई है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की GDP में उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी सभी अनुमानों से परे हैं. RBI ने भी 6.5 प्रतिशत वृद्धि का ही अनुमान लगाया था.'

अपनी रिपोर्ट में चीनी अखबार ने आगे लिखा कि जो लोग जानबूझकर चीन को नीचा दिखाने के लिए भारत का उपयोग करते हैं, उन्हें निराशा होगी क्योंकि चीन तथा भारत के बीच तथाकथित प्रतिस्पर्धा रिंग में दो मुक्केबाजों के बीच की लड़ाई नहीं है. यदि उन्हें लगता है कि यह रिंग की लड़ाई है तो उन्हें सबसे पहले दोनों खिलाड़ियों के वजन के आकलन की सलाह दी जाती है. हम इस दो भिन्न-भिन्न प्रतियोगिता मानते हैं जहां दोनों देश अलग-अलग लक्ष्यों के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं.' अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास प्रक्रिया में कुछ चीजें हो सकती हैं, जिनसे चीन सीख ले सकता है. 

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