जीवन की हर मुश्किल से लड़ने की प्रेरणा देता है गीता का सार
जीवन की हर मुश्किल से लड़ने की प्रेरणा देता है गीता का सार
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श्रीमद्भगवद गीता को पढ़ने से जीवन में हो रहे सभी कर्मों और समस्याओं के हल मिल जाते हैं। आज गीता जयंती है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं गीता की वह बातें जो उसका सार है और जीवन जीने के लिए अनेक बातों को सिखाती हैं।

गीता के उपदेश के अनुसार, 'तुम खाली हाथ आए हो खाली हाथ जाओगे। तुम्हारा क्या चला गया है जो तुम रोते हो क्योंकि तुम कुछ भी साथ में नहीं लाए थे, जो तुमने खो दिया है। जिस धन-संपत्ति व वैभव को तुम अपना समझ रहे हो, वह तो भगवान ने तुम्हें दिया है इसलिए खाली हाथ आए हो खाली हाथ जाओगे।' आगे गीता में उपदेश दिया गया है- 'तुम जिसे अपना समझने की भूल कर रहे हो और जिस कारण से तुम दुखी हो, वह तुम्हारा भ्रम ही है क्योंकि तुम्हारा कुछ नहीं है, सब ईश्वर का है, भगवान श्रीकृष्ण का है। सभी दुखों का कारण यही है कि इस संसार की हर वस्तु को तुम अपना समझ लेते हो।'

गीता सार-
• क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।

• जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।

• तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।

• खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।

• परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।

• न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है – फिर तुम क्या हो?

 
• तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।

 
• जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।

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