गणेश चतुर्थी पर जरूर जानिए बप्पा के विवाह की कहानी
गणेश चतुर्थी पर जरूर जानिए बप्पा के विवाह की कहानी
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आज सभी जगह पर धूम धाम से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. ऐसे में भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा सभी भगवानों से पहले की जाती है और इसी के साथ आज गणेश का पूजन बहुत धूम धाम से होने वाला है. आपको बता दें कि भगवान गणेश का सिर हाथी का था लेकिन जब उनका विवाद भगवान परशुराम से हुआ तो युद्ध में उनका एक दांत भी टूट गया, जिसके कारण उन्हें एकदन्त कहा जाता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं बप्पा के विवाह की कहानी.

गणेश जी के विवाह की कहानी : भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा सभी भगवानों से पहले की जाती है| प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले इन्हे ही पूजा जाता है| भगवान गणेश का सिर हाथी का था. लेकिन, जब उनका विवाद भगवान परशुराम से हुआ तो युद्ध में उनका एक दांत भी टूट गया. इसलिए उन्हें एक दंत भी कहा जाता है. इन दो कारणों से उनसे कोई भी देव कन्या विवाह के लिए तैयार नहीं थी. इस बात से अमूमन गणेशजी नाराज रहा करते थे. और जब किसी अन्य देवता का विवाह होता तो उन्हें किसी न किसी तरह कष्ट पहुंचाते.इस कार्य में उनका चूहा भी साथी होता, वह विवाह के मंडप में जाकर उसे खोखला कर देता और इस तरह विवाम में किसी न किसी तरह विघ्न हो जाता है.

सारे देवता इस बात को लेकर परेशान थे. सभी देवता परेशान हो गए और वह शिवजी के पास गए. शिव-पार्वती ने सलाह दी कि देवगण आपको इस समस्या के समाधान के लिए ब्रह्माजी के पास जाना चाहिए. सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तब वह योग में लीन थे. लेकिन कुछ देर बाद योगबल से दो कन्याएं अवतरित हुईं. जिनके नाम ब्रह्मी जी ने ऋद्धि और सिद्धि रखे. यह ब्रह्मा जी की मानस पुत्रियां थीं. उन दोनों को लेकर ब्रह्माजी गणेशजी के पास पहुंचे और कहा वह उन्हें शिक्षा दें. गणेशजी तैयार हो गये. जब भी चूहा गणेशजी के पास किसी के विवाह की सूचना लाता तो ऋद्धि और सिद्धि ध्यान बांटने के लिए कोई न कोई प्रसंग छेड़ देतीं.

इस तरह विवाह भी निर्विघ्न होने लगे. एक दिन चूहा आया और उसने देवताओं के निर्विघ्न विवाह के बारे में बताया तब गणेश जी को सारा मामला समझ में आया. गणेशजी के क्रोधित होने से पहले ब्रह्माजी उनके पास ऋद्धि-सिद्धि को लेकर प्रकट हुए. उन्होंने कहा, आपने स्वयं इन्हें शिक्षा दी है. मुझे इनके लिए कोई योग्य वर नहीं मिल रहा है. आप इनसे विवाह कर लें. इस तरह ऋद्धि (बुद्धि- विवेक की देवी) और सिद्धि (सफलता की देवी) से गणेशजी का विवाह हो गया, और फिर बाद में गणेश जी के शुभ और लाभ दो पुत्र भी हुए.

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