गाँधीजी के सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी भिलारे का निधन
गाँधीजी के सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी भिलारे का निधन
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नई दिल्ली : स्वतंत्रता सेनानी भीकूदाजी भिलारे (98) का बुधवार को निधन हो गया. भिलारे गुरुजी के नाम से मशहूर भीकूदाजी गांधी जी के साथ अंग्रेजों से लड़े थे. कहा जाता है कि उन्होंने पंचगनी में नाथूराम गोडसे से 1944 में गांधी जी की जान बचाई थी.

गौरतलब है कि अपने साक्षात्कार में भिलारे ने गोडसे द्वारा गांधीजी के हत्या के प्रयास पर कहा था कि पंचगनी में उस दिन उनके सहयोगी ऊषा मेहता, प्यारेलाल, अरुणा असफ अली और अन्य प्रार्थना में मौजूद थें. तभी गोडसे दौड़ते हुए आया, उसके हाथ में चाकू था. उसने कहा उसके पास गांधी के लिए कुछ सवाल हैं. भिलारे ने गोडसे को रोका, उसका हाथ मरोड़ा और चाकू छीन लिया. पर गांधी जी ने उसे जाने दिया.

इस घटना के बारे में महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी के दस्तावेज भी इस ओर संकेत देते हैं. जबकि भिलारे के सहयोगी मणिशंकर पुरोहित ने कमीशन को बताया था कि यह घटना 1944 में नहीं जुलाई 1947 में हुई थी. इस घटना में भिलारे का कोई खास जिक्र भी नहीं था.

बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ किसान और श्रमिक पार्टी के नेता एनडी पाटिल ने भिलारे जी को याद करते हुए कहा कि उन दिनों भिलारे हमारे जैसे युवाओं के हीरो हुआ करते थे. गोडसे से गांधी को बचाने वाली बात पूरे सतारा में फैल गई थी. तब मैं 15 साल का था. तब मैं और मेरे दोस्त भिलारे गुरुजी से मिलने साइकल से गए थे. उन्होंने सारी जिंदगी गांधी के सिद्धांतों का अनुसरण किया.

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