'अवांछित कारोबारियों से गांधी परिवार के रिश्ते, विदेशों में जाकर मिलते हैं राहुल..', 50 साल कांग्रेस में रहे आज़ाद का खुलासा
'अवांछित कारोबारियों से गांधी परिवार के रिश्ते, विदेशों में जाकर मिलते हैं राहुल..', 50 साल कांग्रेस में रहे आज़ाद का खुलासा
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श्रीनगर: 'कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कई अवांछित कारोबारियों से रिश्ते हैं।' 50 वर्षों तक कांग्रेस के कद्दावर नेता और गांधी परिवार के विश्वसनीय रहे गुलाम नबी आजाद ने यह दावा किया है। आज़ाद ने राहुल गांधी के एक ट्वीट के जवाब में यह बात कही, जिसमें उनके (आज़ाद के) सहित कई लोगों के अडानी से रिश्तों पर सवाल खड़े किए गए थे। जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, 'राहुल गांधी सहित पूरे गांधी परिवार के कारोबारियों से रिश्ते हैं। मैं ऐसे 10 उदाहरण दे सकता हूं, जिसमें राहुल गांधी विदेश जाकर भी लोगों से मिले हैं, इनमें अवांछित कारोबारी भी शामिल हैं।' 

आजाद ने आगे कहा कि देश में अब कांग्रेस बची ही नहीं है, केवल कुछ लोग ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेतृत्व का कहीं पर भी कोई असर नहीं है। इतना ही नहीं आजाद ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को भी निष्फल करार दिया। आज़ाद ने कहा कि, 'कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद से राहुल का प्रभाव बढ़ा है। मगर, मुझे लगता है कि उनका कोई प्रभाव नहीं बढ़ा है। यहां तक कि जब राहुल गांधी, सूरत की कोर्ट में पेश होने के लिए पहुंचे, तो कोई भी युवा या किसान उनके समर्थन में आगे नहीं आया।' 

गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस में पुराने नेता तो किनारे लगे ही हैं, मगर नई पीढ़ी के लोग 10 गुना अधिक परेशान हैं। यही कारण है कि एके एंटनी जैसे दिग्गज नेता के बेटे अनिल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। आज़ाद ने कहा कि, 'अनिल का कांग्रेस छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। 50 वर्ष से कम उम्र के अधिकतर युवा नेता इसलिए कांग्रेस छोड़ रहे हैं, क्योंकि राहुल गांधी के पास नेतृत्व का अभाव है। वह पार्टी के कोई दिशा नहीं दे पा रहे हैं।' 

बता दें कि, इंदिरा गाँधी, राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के साथ काम कर चुके गुलाम नबी आज़ाद ने गत वर्ष कांग्रेस छोड़ दी थी। वे काफी समय से कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की वकालत कर रहे थे। लेकिन, उनकी बात हाईकमान द्वारा नहीं सुनी गई। आखिरकार, तक हारकर आज़ाद ने कांग्रेस से अलग होना ही उचित समझा। उन्होंने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी को मुख्य कारण बताया था। आज़ाद ने राहुल को बचकाना और अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि, वो पार्टी पर उचित ध्यान नहीं देते हैं और राहुल के सिक्योरिटी गार्ड तथा PA पार्टी के अहम फैसले ले रहे हैं, जबकि अनुभवी नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है। आज़ाद के इस बयान से कांग्रेस आगबबूला हो गई थी और कांग्रेस के कई नेताओं ने गुलाम नबी पर जमकर हमला बोला था । 

 

हालाँकि, आज़ाद के इस दावे से यह सवाल उठ रहा है कि, वे जिन अवांछित कारोबारियों की बात कर रहे हैं, क्या उसमे जॉर्ज सोरोस का भी नाम है ? दरअसल, सोरोस अक्सर भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाज़ी करते रहते हैं। जब भारत में राहुल गांधी ने अडानी का मुद्दा उठाया था, तो सोरोस ने भी अमेरिका से कहा था कि, 'मोदी और अडानी करीबी सहयोगी हैं और उनका भाग्य भी आपस में जुड़ा हुआ है।' बता दें कि, सोरोस 'राष्ट्रवाद' के धुर विरोधी माने जाते हैं और उन पर अमेरिका, रूस और चीन में राष्ट्रवादियों से लड़ने के लिए करोड़ों डॉलर की फंडिंग करने का भी आरोप है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को हटाने के लिए भी पैसों की पेशकश की थी।

 

आरोप ये भी लगाया गया था कि, सोरोस से जुड़े लोग राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे। बहरहाल, एक बात तो तय है कि, सोरोस और राहुल गांधी की भाषा में काफी समानता है और दोनों मोदी सरकार पर एक ही तरह के आरोप लगाते हैं। ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि, आज़ाद जिन अवांछित कारोबारियों की बात कर रहे हैं, वो हैं कौन और क्या वे कारोबारी भारत के लिए हानिकारक हैं, जिनसे राहुल गांधी विदेशों में चुपचाप मुलाकात करते हैं ? 

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