नई दिल्ली: चुनाव प्रचार में इंडियन आर्मी और जवानों की तस्वीर के उपयोग का मामला गर्माता जा रहा है. शुक्रवार सुबह खबर आई कि 150 से ज्यादा पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र भेजकर इस मामले में शिकायत की है. किन्तु राष्ट्रपति भवन ने इस किस्म की किसी भी चिट्ठी मिलने से मना कर दिया है. इसके साथ ही इस पत्र में जिन पूर्व सैनिकों का नाम शामिल है, उन्हीं में से एक सेवानिवृत्त एयर मार्शल एनसी सूरी ने भी कहा है कि उन्होंने इस प्रकार की किसी पत्र पर साइन नहीं की है.
उनके अलावा जनरल एस.एफ. रोड्रिग्स ने भी इस प्रकार के पत्र में अपना नाम होने से मना किया है. उन्होंने कहा है कि पता नहीं ये कहां से आया है, मैं अपने पूरे जीवन भर राजनीति से दूर रहा हूं. 42 वर्ष के अपने करियर में मैंने राजनीति की बात नहीं की है. मैं नहीं जानता कि किन लोगों ने इस प्रकार की अफवाह फैलाई है. उल्लेखनीय है कि चुनाव में सेना और वर्दी का उपयोग होने पर इन सैन्य अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी. पत्र में कुल 156 पूर्व सैनिकों की साइन होने का दावा किया गया है, जिसमें पूर्व जनरल एसएफ रोड्रिग्स, पूर्व जनरल शंकर राय चौधरी, पूर्व जनरल दीपक कपूर जैसे बड़े सैनिकों का नाम लिया गया है.
पत्र सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोला था. कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि भले ही पीएम नरेंद्र मोदी सेना के नाम पर वोट मांग लें, किन्तु सेना केवल देश की है, भाजपा की नहीं. हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को 'मोदी जी की सेना' कहा था. इसके अलावा दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी एक रैली में सेना की वर्दी में दिखाई दिए थे. इस पर विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई थी और निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी.
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