नईदिल्ली: देश में लगाए गए आपातकाल के कारण आज तक कई परेशानियों को झेलना पड़ रहा है। आज तक इस मुश्किल हालात का असर नहीं छूट रहा है। मामले में कहा गया है कि आरएसएस के मुखपत्र द्वारा कहा गया है कि विभिन्न दागों की अवधारणात्मकए मनोवैज्ञानिक और विभिन्न आवश्यकताओं में संवैधानिक स्तर पर आॅपरेशन करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। मामले में कहा गया है कि आज भी आपातकाल का असर देखने को मिल रहा है। आर्गेनाईजर द्वारा प्रकाशित की गई संपादकीय में इस बात का उल्लेख साफतौर पर देखने को मिल रहा है।
यही नहीं यह भी कहा गया है कि वोट बैंक की राजनीति में दुर्भावना के चलते इस तरह के कदम उठाए जाते हैं। ऐसे में समाज में भी एक दूसरे के प्रति कटुता फैलती है। इस दौरान कहा गया है कि जनता परिवार जैसी पार्टियों को शिक्षा देने पर हमला किया गया है। आपातकाल को लेकर लगाए गए दाग भारतीय लोकतंत्र पर आज भी असर छोड़ रहे हैं। आeduपातकाल को लेकर की गई इस चर्चा में संविधान में किए गए 42 वें संशोधन का भी जिक्र किया गया है। जिसमें कहा गया है कि लोकतांत्रिक मांग कुछ शब्दों को प्रस्तावना में डाला गया। जबकि एक तानाशाह द्वारा राजनीति का पूरा खेल खेला गया। इस तरह की राजनीति करने से लोगों ने अपना राजनीतिक उल्लू सीधा किया।