क्या MSME बदलने वाली है उद्योग जगत की परिभाषा ?
क्या MSME बदलने वाली है उद्योग जगत की परिभाषा ?
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कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) की बदली परिभाषा से उद्यमी काफी उत्साहित हैं. सरकार ने अब 250 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले उद्योगों को भी एमएसएमई के दायरे में ले लिया है. असल में अब तक 10 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर मध्यम उद्योग माने जाते थे मगर अब 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले मध्यम उद्योग की श्रेणी में आएंगे. एक जुलाई से मोदी सरकार का यह नया निर्णय लागू हो जाएगा. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एमएसएमई श्रेणी के उद्योगों के लिए सालाना कारोबार और प्लांट-मशीनरी में निवेश का दायरा बढ़ने से 95 फीसद उद्यमियों को फायदा होने की संभावना है. केंद्र सरकार से एमएसएमई के लिए मिलने वाले फायदों को लेने के लिए उद्यमियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है.

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अगर आपको नही पता तो बता दे कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के हितों के संरक्षण के लिए बने औद्योगिक संगठन आइ एम एसएमई ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला बताते हैं कि एमएसएमई के लिए बनी नई परिभाषा से उद्योग जगत में एक नया बदलाव आएगा. युवा वर्ग स्वरोजगार के लिए आगे आएंगे. चावला के अनुसार केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये तक के सरकारी काम घरेलु कंपनियों को ही देने का आदेश दिया है. इससे एमएसएमई का प्रभाव बढ़ेगा. एमएसएमई अभी तक इस तरह के बड़े काम लेने के लिए प्रयास ही नहीं करते थे. अब चूंकि प्रतिस्पर्धा भी घरेलू कंपनियों के बीच ही रहेगी, इसलिए प्रत्येक उद्योग को अपना विस्तार करने का मौका मिलेगा.

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