शिमला: पिछले साल 8 जून को हैदराबाद स्थित वीएनआर विज्ञान ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 छात्र और एक सह टूर ऑपरेटर ब्यास नदी की धारा में बह गए थे. जिसके चलते सामने आई लापरवाही के तहत हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हैदराबाद कॉलेज के 24 इंजीनियरिंग छात्रों में प्रत्येक के माता-पिता को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की एक खंड पीठ ने नियम के तहत फैसला सुनाते हुए कहा है कि मुआवजा आठ हफ्ते के अंदर अदा किया जाए. साथ ही पीठ ने यह भी आदेश दिया है कि पहले अदा किए जा चुके पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा सहित मुआवजे की राशि हादसे के समय से लेकर राशि जारी किए जाने तक की तारीख तक 7.5 फीसदी सालाना ब्याज सहित दिया जाये.
हाईकोर्ट ने मुवावजे कि राशि हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन और राज्य सरकार से 60:30:10 के अनुपात में देने को कहा है.
अदालत ने बिजली बोर्ड पर असावधानी बरतने के कारण 60 फीसदी मुवावजा देने को कहा है. बाकि का हिस्सा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन और राज्य सरकार को देने के निर्देश जारी किये है.
आपको बता दे कि पिछले साल पिछले साल 8 जून को हैदराबाद स्थित वीएनआर विज्ञान ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 छात्र और एक सह टूर ऑपरेटर ब्यास नदी की धारा में, लारजी परियोजना के अधिकारियों द्वारा अचानक ही पानी छोड़ देने के कारण बह गए थे.