असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है दशहरा, जाने पौराणिक कथा एवं महत्व
असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है दशहरा, जाने पौराणिक कथा एवं महत्व
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विजयदशमी अथवा दशहरा पर्व का हिंदुओं के लिए विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाले यह त्योहार जनमानस में खुशी, उत्साह व नवीनता का संचार करता है। आज के समय में दशहरा कई पौराणिक कथाओं को माध्यम मानकर मनाया जाता हैं। माता के नौ दिन की समाप्ति के बाद दसवे दिन जश्न के तौर पर मनाया जाता हैं। जिसमे कई जगहों पर राम लीला का आयोजन होता है, जिसमे कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। कई जगहों पर इस दिन मैला लगता है, जिसमे कई दुकाने एवं खाने पीने के आयोजन होते हैं उन्ही आयोजनों में नाट्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया जाता हैं। 

विजयदशमी या दशहरा क्यों मनाया जाता है ?
यह पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन अयोध्या के राजा राम ने लंका के आततायी राक्षस राजा रावण का वध किया था । तब से लोग भगवान राम की इस विजय स्मृति को विजयादशमी के पर्व के रूप में मनाते चले आ रहे हैं । सामान्यतः दशहरा एक जीत के जश्न के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं जश्न की मान्यता सबकी अलग-अलग होती हैं। जैसे किसानो के लिए यह नयी फसलों के घर आने का जश्न हैं पुराने वक़्त में इस दिन औजारों एवम हथियारों की पूजा की जाती थी, क्यूंकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्न के तौर पर देखते थे। लेकिन इन सबके पीछे एक ही कारण होता हैं बुराई पर अच्छाई की जीत किसानो के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलो का जश्न एवम सैनिको के लिए युद्ध में दुश्मन पर जीत का जश्न हैं। 

विजयदशमी पर इन चीज़ो का किया जाता है पूजन 
इस दिन घरों में लोग अपने वाहनों को साफ़ करके उसका पूजन करते हैं, व्यापारी अपने लेखा का पूजन करते हैं, किसान अपने जानवरों एवं फसलो की पूजा करता हैं, इंजिनियर अपने औजारों एवं अपनी मशीनों का पूजन करते हैं। इस दिन घर के सभी पुरुष एवं बच्चे दशहरे मैदान पर जाते हैं। वहाँ रावण, कुम्भकरण एवम रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है। सभी शहर वासियों के साथ इस पौराणिक जीत का जश्न मनाते हैं मैले का आनंद लेते हैं उसके बाद शमी पत्र जिसे सोना चांदी कहा जाता हैं उसे अपने घर लाते हैं। माना जाता हैं कि मनुष्य को भी अपनी बुराई का दहन करके घर लौटना चाहिए, इसके बाद वो व्यक्ति शमी पत्र देकर अपने से बड़ो के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता हैं।  इस प्रकार घर के सभी लोग आस पड़ोस और रिश्तेदारों के घर जाकर शमी पत्र देते हैं वही बड़ो से आशीर्वाद लेते हैं, छोटो को प्यार देते हैं एवं बराबरी वालो से गले मिलकर खुशियाँ बाटते हैं। 

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