दिवाली पर ढाणी-पपड़ी का महत्व
दिवाली पर ढाणी-पपड़ी का महत्व
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दीपावली यानी दीपो का त्यौहार जिसे भारत के साथ-साथ कई और देशो में भी मनाया जाता है. दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस दिन धन की देवी अर्थात माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है साथ ही भगवान श्री रामचंद्र जी के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने के ख़ुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया जाता है और बच्चे पटाखे फोड़कर इस त्यौहार का लुफ्त उठाते है. घर में कई तरह के व्यंजन-पकवान बनाये जाते है. यूँ तो हर घर में दिवाली की पूजन अलग-अलग ढंग से की जाती है लेकिन सभी लोग इस दिन पूजा में ढाणी - पपड़ी को विशेषकर अपनी पूजा में शामिल करते है.

लेकिन लक्ष्मी पूजा में ढाणी - पपड़ी का क्या महत्त्व है. दरअसल इस समय सबसे ज्यादा चावल की फसल होती है इसलिए माना जाता है कि चावल से बनी ढाणी को भी पूजा में शामिल करते है उसके बाद ही अन्न ग्रहण करते है. साथ ही पपड़ी जिसे हम बताशे भी कहते है तो चावल के साथ-साथ गन्ने की भी इस समय आवक होती है. इसलिए गन्ने से बने बताशे को भी पूजा में शामिल किया जाता है. कहते है कि दिवाली की पूजा में इस अन्न को शामिल कर उसकी पूजा की जाती है तो घर में बरकत भी अच्छी होती है साथ ही आने वाले समय में फसल अच्छी हो उसकी भी मनोकामना की जाती है.

 

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