मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और उपराज्यपाल के बीच पैदा हुए विवाद को लेकर केंद्र और राज्य के बीच बिगड़ते संबंधों पर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. माकपा ने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार खुद को 'सहकारी संघवाद' को बढ़ावा देने वाली सरकार बताती है लेकिन इसके विपरीत राज्यों के अधिकारों को लगातार खत्म किया जा रहा है.
पार्टी ने बयान में कहा, मोदी सरकार स्पष्ट रूप से सरकार के एकात्म रूप की ओर बढ़ रही है जो कि पूरी तरह से हमारे संविधान में वर्णित संघीय ढांचे का उल्लंघन है. बयान में कहा गया है कि पूर्वोत्तर के राज्यों को परंपरागत रूप से दिया गया विशेष राज्य का दर्जा धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. केंद्र सरकार एकपक्षीय रूप से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के रूप में पहचाने जाने वाले राजनीतिज्ञों को राज्यों में राज्यपाल बना रही है.
बयान के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए उपराज्यपाल और लोकतांत्रिक रूप से गठित दिल्ली की सरकार के बीच विवाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच संबंधों के निरादर की एक और बानगी है. माकपा का इशारा दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सहमति के बिना कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में एक वरिष्ठ नौकरशाह की नियुक्ति को लेकर केजरीवाल द्वारा जताए गए कड़े विरोध की ओर था.
माकपा ने कहा कि पार्टी केंद्र की इस सरकार के इस तरह के लोकतंत्र विरोधी कृत्यों की निंदा करती है. साथ ही माकपा ने विपक्षी पार्टियों से भविष्य में राज्य के अधिकारों में कमी करने और केंद्र और राज्यों के बीच बिगड़ते संबंधों पर विपक्षी पार्टियों से कड़ा विरोध जताने का आह्वान किया.