नई दिल्ली: 36 वर्ष बाद भी 'रोहिणी रेजिडेंशियल स्कीम 1981' के अंतर्गत रोहिणी सेक्टर-28, 29, 30, 32, 34, 35, 36, 37 में आवंटित की गई जमीन को विकसित नहीं किए जाने को लेकर क्षेत्र के लोग बेहद खफा हैं. आसपास के लोगों ने 2019 आम चुनाव में वोट न देने का फैसला लिया है. जंगल में बदल चुके ये आवासीय प्लॉट मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं.
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हजारों लोग ऐसे हैं जिन्हें मकान आवंटित किया जा चुका है किन्तु आज भी वे किराए के मकान पर रहने को विवश हैं. एक ऐसे ही माकन मालिक आरके लूथरा (अध्यक्ष, रोहिणी रेजिडेंशियल स्कीम 1981) का कहना है कि डीडीए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को भी नहीं मान रहा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1981 में एक लाख 17 हजार प्लॉट के लिए निकाली गई इस योजना में कई आबंटियों की मृत्यु हो चुकी है तो कई जवानी से अधेड़ अवस्था में पहुँच गए हैं. ऐसे लोगों को इस स्कीम का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
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आवंटियों की मानें तो रोहिणी सेक्टर-28, 29, 30, 32, 34, 35, 36, 37 में आवंटित किए प्लॉट्स बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. यहां सीवर, पेयजल, बिजली, मेडिकल, स्कूल और अस्पताल तक की सुविधा नहीं हैं. ऐसे में कोई भी शख्स यहां घर बनाकर कैसे रह सकता है. डीडीए की इस लापरवाही से कई आवंटियों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. 36 वर्ष के इस लंबे इंतजार के बाद भी हजारों लोगों के अपने घर का सपना अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है.
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