दिल्ली हाईकोर्ट का फरमान- कोरोना मरीजों के लिए 20 फीसदी बेड रिजर्व रखें निजी अस्पताल
दिल्ली हाईकोर्ट का फरमान- कोरोना मरीजों के लिए 20 फीसदी बेड रिजर्व रखें निजी अस्पताल
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी निजी अस्पतालों को 20 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करने के लिए कहा है. अदालत ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि सभी मरीजों का कोरोना टेस्ट करें, चाहे उनमें लक्षण हो या ना हो. अगर अस्पताल जरूरी समझता है तो कोई भी सर्जरी या दूसरे प्रोसिजर करने से पहले कोरोना जांच कर ले, किन्तु अन्य बीमारी से ग्रस्त लोगों के इलाज से करोना के नाम पर मना नहीं कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. दिल्ली सरकार का अनुमान है कि जुलाई के अंत तक दिल्ली में 5 लाख से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले हो सकते हैं. ऐसे में राजधानी में अस्पताल में बेड सहित अन्य सुविधाओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण अभी तक 984 लोगों की जान गई है. वहीं दिल्ली में अब तक 32810 लोग कोरोना वायरस से ग्रसित पाए जा चुके हैं. वहीं दिल्ली में अब तक कोरोना के 19581 सक्रीय मामले हैं तो 12245 लोगों का उपचार किया जा चुका है.

सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायलय में केजरीवाल सरकार पर गलत कोरोना टेस्टिंग पॉलिसी लागू करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई हुई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार, आईसीएमआर को नोटिस दिया है. दोनों को एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा. मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी.

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