नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. वहीं दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी अपने कामकाज और सीएम केजरीवाल के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है तो भाजपा केंद्र सरकार के काम और पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे को भुनाने की कवायद में है. यही वजह है कि बीजेपी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री के चेहरे के बजाय सामूहिक और केंद्रीय नेतृत्व के सहारे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है. केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का संकेत देकर कमोबेश यही बात कही है.
वहीं यह कहा जा रहा है कि दिल्ली के चुनाव संग्राम में बीजेपी को मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ उतरने का दांव कभी नहीं सुहाया है. दिल्ली में 1993 से लेकर 2015 तक छह विधानसभा चुनाव हुए हैं. बीजेपी इनमें से 5 बार सीएम के चेहरे के साथ साथ मैदान में उतरी थी और उसे हर बार हार का सामना करना पड़ा पड़ा. दिल्ली में महज एक बार बीजेपी ने सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी और तब दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब रही थी. इसीलिए पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की घोषणा करने के बाद केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के सहप्रभारी हरदीप पुरी पलट गए थे और इसे वापस ले लिया था.
अमित शाह ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ने का दिया संकेत: वहीं इस बात का पता चला है कि बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, 'मुझे पूर्ण विश्वास है कि लोकतंत्र के इस महापर्व के माध्यम से दिल्ली की जनता उनको पांच साल तक गुमराह करने वाले और उनसे सिर्फ खोखले वादे करने वालों को हराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली की जनता की आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाली सरकार चुनेगी.' अमित शाह के ट्वीट से साफ है कि बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी चेहरे को आगे करने के बजाय नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरेगी.
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