पुण्यतिथि विशेष महमूद : 'हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले'
पुण्यतिथि विशेष महमूद : 'हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले'
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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के महानतम अभिनेताओं में शुमार हम बात कर रहे है मशहूर अभिनेता व कॉमेडियन महमूद अली के बारे में जिनके जैसा हरफनमौला व मस्तमौला अभिनेता आज तक ना ही तो कभी पैदा हुआ और ना ही कभी होगा. उस दौर में किसी भी फिल्म को हिट करने के लिए अभिनेता महमूद का नाम ही काफी था. आपको बता दे कि, महमूद एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक भी थे. बॉलीवुड की हिन्दी फ़िल्मों में महमूद को उनके हास्य कलाकार के तौर पर किये गये अदभुत अभिनय के लिये  जाना जाता  है व काफी सराहे भी गये. तीन दशक लम्बे चले उनके करीयर में उन्होने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया. 

महमूद अभिनेता और नृत्य कलाकार मुम्ताज़ अली के नौ बच्चों में से एक थे. 23 जुलाई, 2004 को अमरीका में पेनसिल्वेनिया शहर में नींद में ही महमूद जी गुज़र गये. वे बरसों से ह्रदयरोग से पीडीत थे। पिछले बरसों में उनकी सेहत बहुत खराब रेहती थी. देखा जाए तो बॉलीवुड के इस किंग की कुछ प्रमुख फ़िल्में थीं जिनमे है - पड़ोसन, गुमनाम, प्यार किए जा, भूत बंगला, बॉम्बे टू गोवा, सबसे बड़ा रूपैया, पत्थर के सनम, अनोखी अदा, नीला आकाश, नील कमल, कुँवारा बाप आदि. लेकिन आई एस जौहर के साथ महमूद की जोड़ी काफ़ी मशहूर हुई थी और दोनों ने जौहर महमूद इन गोवा और जौहर महमूद इन हाँगकाँग के नाम से फ़िल्में भी कीं. 

निर्देशक के रूप में महमूद की अंतिम फ़िल्म थी 'दुश्मन दुनिया का'. 1996 में बनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने बेटे मंज़ूर अली को पर्दे पर उतारा था. महमूद के कुछ यादगार गाने है जिन्हे की आज भी काफी गुनगुनाया जाता है जिसमे है "एक चतुर नार" "पडोसन" से, "आओ ट्विस्ट करें" "भूत बंगला" से, "ये दो दिवाने दिल के" "जोहर मेहमूद इन गोवा" से, "हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं" "गुमनाम" व 'हम काले है तो क्या हुआ दिल वाले है' चर्चित है. महमूद का जन्म 29 सितम्बर 1932 को मुंबई में हुआ था.  

कुंवारा बाप महमूद के लिए कितनी खास थी, उसका अंदाजा लगाने के लिए एक किस्सा है. फिल्म रिलीज होने से पहले महमूद ने दुआ मांगी थी कि अगर फिल्म कामयाब हुई, तो वो वैष्णो देवी दर्शन के लिए जाएंगे. वो गए भी. उन्होंने उसके बाद की तमाम फिल्मों से हुई कमाई का बड़ा हिस्सा पोलियो मुक्ति अभियान में लगाया. महमूद खुद को शिव का आशीर्वाद मानते थे. इसीलिए तमाम फिल्मों में उनका नाम महेश था. आज के दौर में ये कहानी जानने की भी सख्त जरूरत है.


 

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