कच्चे बिल के दिन जाने के साथ ही बढ़ी कारोबारियों की मुश्किल
कच्चे बिल के दिन जाने के साथ ही बढ़ी कारोबारियों की मुश्किल
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नई दिल्ली: अब वह दिन गए जब हर कोई हमें कच्चा बिल थमा देता था। लेकिन अब "कच्चा बिल" फाड़कर काली कमाई करने वाले कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं। जी हाँ अगले साल पहली अप्रैल से जीएसटी लागू होने पर "कच्चा बिल" नहीं चलेगा। जीएसटी लागू होने पर "कच्चा बिल" से कारोबार नहीं हो पाएगा। ऐसा होने से न सिर्फ टैक्स की चोरी रुकेगी बल्कि काले धन पर अंकुश भी लगेगा।

जीएसटी लागू होने के बाद जब वस्तुओं की आवाजाही पूरे देश में होगी तो कहीं न कहीं उसे जीएसटी के नेटवर्क में आना ही होगा। ऐसा होते ही पता चल जाएगा कि इसका बिल कैसा है। मसलन अगर कोई वस्तु एक कारोबारी से दूसरे के पास जाती है तो दोनों कारोबारियों को उसका बिल जीएसटी नेटवर्क पर अपलोड करना होगा।

ऐसा करने पर ही उन्हें टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा। जब दोनों कारोबारी अपने-अपने स्तर पर जीएसटी का भुगतान कर उसकी रसीद और वस्तु के बिल की कॉपी अपलोड करेंगे तो सिस्टम उसे वैरीफाई कर देगा। अगर वह वैरीफाइ नहीं होगा तो दोनों में से किसी भी कारोबारी को जीएसटी का क्रेडिट नहीं मिलेगा।

ऐसे में उन्हें पूरा टैक्स जमा करना होगा और उनका सामान महंगा हो जाएगा। फिलहाल आयकर के मामले में ऐसा ही होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में 122वां संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए "कच्चा बिल" से कारोबार करने वाले व्यवसाइयों को आगाह भी किया था।

यह कुछ ऐसा होगा जैसे किसी कर्मचारी को उसके नियोक्ता से वेतन का भुगतान किया जाता है तो नियोक्ता उसमें से टीडीएस काटता है। नियोक्ता यह टीडीएस आयकर विभाग के पास जमा कराता है और आयकर विभाग फार्म संख्या 26 ए के रूप में इसका ब्यौरा उक्त कर्मचारी को उपलब्ध करा देता है।

जब कर्मचारी आयकर रिटर्न फाइल करते समय इस टीडीएस को वैरीफाई कर देता है तो उसे टीडीएस के रूप में ली गयी राशि में से रिफंड प्राप्त हो जाता है। अगर वह कर्मचारी टीडीएस का ब्यौरा आयकर रिटर्न में न दे या नियोक्ता टीडीएस का ब्यौरा न दे कर्मचारी को रिफंड नहीं मिल पाएगा।

ऐसे ही जीएसटी में भी कोई वस्तु जितने कारोबारियों के पास जाएगी, उतने ही कारोबारियों को अपने-अपने बिल ऑनलाइन जमा करने होंगे, उसके बाद ही उन्हें जीएसटी क्रेडिट का लाभ मिलेगा। हालांकि वे कारोबारी इसके दायरे में नहीं आएंगे जिनका कुल सालाना कारोबार 10 लाख रुपये से कम है।

इस तरह जीएसटी लागू होने पर किसी वस्तु के विनिर्माण से लेकर उपभोक्ता तक खपत की श्रृंखला में जितने भी कारोबारी होंगे, उन्हें अपने-अपने बिल और भुगतान किए गए जीएसटी का ब्यौरा ऑनलाइन डालना होगा।

अगर वे इसे नहीं डालेंगे तो जीएसटी का क्रेडिट नहीं मिलेगा। इस तरह जीएसटी की इस प्रक्रिया का पालन करने पर कर चोरी की गुंजाइश खत्म हो जाएगी जिससे काले धन पर भी अंकुश लगेगा।

साथ ही हम आपको बता दे कि छोटे कारोबारियों की आशंकाओं और चिंताएं दूर करने के लिए सरकार जल्दी ही कार्यक्रम शुरू करेगी। वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक सेमिनार में बताया कि हम जीएसटी लागू करने के लिए सभी औपचारिकताएं तय समय में पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं।

व्यापारियों की चिंताएं दूर करने के लिए हम उनसे मिलेंगे। उनकी सभी आशंकाओं को दूर किया जाएगा।

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