हर साल आने वाले दशा माता व्रत को इस बार 30 मार्च को रखा जाने वाला है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं दशा माता व्रत की विधि. यह विधि सभी को के लिए जरुरी है जो व्रत रखते हैं. इस व्रत को करने से घर की दशा ठीक रहती है. कहते हैं हिन्दू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, किंतु जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है. कहते हैं इन सभी परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कैसे करनी है दशा माता का व्रत में पूजा.
पूजा विधि - आप सभी को बता दें कि यह व्रत चैत्र (चेत) माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है. कहते हैं सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं. आप सभी को बता दें कि इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं और इस डोरे की पूजन करने के बाद कथा सुनती हैं इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं.
आप सभी को बता दें कि इस दिन एक ही प्रकार का अन्न एक समय महिलाएं खाती है और भोजन में नमक नहीं होना चाहिए. कहा जाता है इस दिन विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं और यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है.
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