नई दिल्ली: वर्ष 2020 पूरी तरह कोरोना वायरस से लड़ने में बीत गया। हालांकि 2021 के आते-आते दुनियाभर में और खासतौर पर भारत में विकसित की गईं कोरोना वैक्सीन ने पूरे विश्व को राहत दी है। अभी तक भारत में 75 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है और कोरोना के मामलों में भी अपेक्षित रूप से गिरावट आई है। इसके बाद भी विशेषज्ञ वायरस को लेकर निश्चिंत नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस कभी भी लौटकर हमला कर सकता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बॉयोलॉजी (CSIR) के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल बता रहे हैं कि भारत की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने में तकनीक का काफी योगदान रहा और एक बड़ी आबादी को संक्रमण (Infection) से सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीन ही आवश्यक है। इसके साथ ही डॉ. अनुराग कोरोना महामारी में बचाव की तैयारियों के अलावा सावधान रहने की भी हिदायत दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीक की सहायता से ही हमारे फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना से लड़ने के लिए आधुनिक किस्म के संसाधन जैसे प्रभावी टेस्टिंग किट, सेल्फ प्रोटेक्शन किट, मॉलीक्यूलर सर्विलांस मैकेनिज्म, दवाएँ और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध हो सके। तकनीक की मदद से ही हम वायरस के म्यूटेशन को ट्रैक कर पाए, कोरोना जाँच के लिए भारतीय किट को विकसित कर पाए, पर्याप्त मात्रा में दवा और उपकरणों को तैयार कर सके।
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