पशुओ के प्रति क्रूरता
पशुओ के प्रति क्रूरता
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जंगलो में रहने वाले पशु और पक्षियों को पकड़ कर व कैद कर, उन्हें बेचकर पैसे कमाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है। क्या हमे पता है की पंछी आकाश में उड़ने के लिए बने है हम जानते हुए भी उन्हें पिंजरों में कैद करके रख देते है या तो बेचने के लिए या आम तोर पर घर में रख देते सजावट के रूप से। इसमें कोई संदेह नहीं है की जानवरो के साथ क्रूरता का एक बड़ा सौदा हमारी एक मानसिकता का कारण है की जब तक हमारी सोच सही नहीं होजाती इन बेज़ुबानों पर ऐसे ही हिंसा होती रहेगी। 

पालतू जानवरो की बात की जाये तो उनपर भी क्रूरता होती है। यह कहना सही नहीं होगा की सभी मालिक अपने अपने पालतू जानवरो के प्रति असंवेदेनशील है, लेकिन ज़ायदा तर येह देखा जाता ह की उनका ध्यान मालिकों के मूड पर निर्भर करता है। लोग अकसर इन मूक प्राणियों को यहाँ मेहसूस किये बिना भी चोट पहुँचते है की उन्हें भी दर्द होता है। भारत में गयाो और आवारा कुत्तो की दूरदर्शन एक आम दृश्य है। पालतू गय, बैल, भैंस आदि पशुओ को अत्यंत गंदे स्थानों में रखा जाता है तथा उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी ठीक नहीं होती है।गाय को माता कह देने से ही गौ जाति की उन्नति नहीं हो जाती और शायद इसीलिए बूढ़ी गाएँ कसाईखानों तक पहुँच जाती हैं ।गाय और बैंस अमरत्तुलाया दूध देकर हमारे शरीर कोहृष्ट-पुष्ट बनाते हैं। बैल व भैंस कृषि की रीड की हड्डी माने जाते है। 

रेगिस्तानों में ऊँट का विकल्प आज तक नहीं ढूँढ़ा जा सका है। धोबियों के लिए गधो की उपयोगिता सदियों से बनी हुई है । गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि पशुओं का गोबर इतना अच्छा प्राकृतिक खाद है कि इसकी तुलना किसी भी अन्य खाद से नहीं की जा सकती। सदियों मे पशुओं के साथ बुरा व्यवहार होता आया है । इतिहास की पुस्तकों से पता चलता है कि मानव का पहला साथी कुत्ता बना क्योंकि इसकी स्वामिभक्ति पर आज तक किसी प्रकार का संदेह नहीं व्यक्त किया गया है।

मालिकाना कुत्तों के लिए प्रवाधान 

आईपीसी की धारा 428, 429 और पीसीए एक्ट की धारा 11 के तहत अगर किसी भी जानवर का कोई मालिक है . यह धारा 428 और 429 के अंतर्गत आता है .

धारा 428 : पशुओं को मारना और जहर देना या उसे अपाहिज करने पर दो साल की कैद या दंड तथा दोनों दिया जा सकता है.
धारा 429 : पशुओं को मार डालने, जहर देना या अपाहिज कर देने पर पांच साल की सजा या दंड या फिर दोनों दिया जा सकता है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और धारा 429 के तहत किसी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग करना या प्रताड़ित करना एक संज्ञेय अपराध है. इस तरह के कृत्य के लिए कठोर कारावास की सजा है जिसके लिए 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है.

आवार कुत्तों के लिए प्रावधान 

आगर कुत्ता आवारा है और कोई शिकायत करता है तो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 (पीसीए एक्ट, The Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) के तहत पशुओं के साथ क्रूरता किए जाने पर 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक जुर्माना या फिर तीन महीने की सजा का प्रावधान है.

धारा 11 के अनुसार, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 कहता है कि किसी जानवर को छोड़ना, उसे ऐसी स्थिति में छोड़ना कि उसे भूख या प्यास के कारण दर्द होता है, एक दंडनीय अपराध है.

यदि कोई मालिक अपने पालतू जानवरों को पर्याप्त भोजन, पेय या आश्रय प्रदान करने में विफल रहता है, तो वह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (एच) के अनुसार दंड के लिए उत्तरदायी होगा, एक दंडनीय अपराध है.

किसी भी जानवर को भारी जंजीर या डोरी से लंबे समय तक जंजीर में बांधकर रखना या बांधना जानवर के साथ क्रूरता की श्रेणी में आता है और इसके लिए जुर्माने या 3 महीने तक की कैद या दोनों की सजा हो सकती है.

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