महाराष्ट्र/मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को गोमांस की बिक्री और उसके उपभोग पर महाराष्ट्र सरकार के प्रतिबंध के फैसले को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति वी.एम.कानाडे और न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक की खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला किया। यह जानकारी एक याचिकाकर्ता मटन बुचर्स यूनियन सर्वश्रमिक संघ के सचिव विजय दलवी ने दी।
दलवी ने कहा, "हमने प्रतिबंध का विरोध किया, क्योंकि इसने न सिर्फ उपभोक्ताओं, बल्कि किसानों, व्यापारियों, चमड़ा उद्योग और इससे जुड़े कई लोगों को प्रभावित किया है। हम उनकी दशा दिखाने के लिए अगले सप्ताह दक्षिण दिल्ली में रैली निकालेंगे।" महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के बाद मार्च में राज्य सरकार ने गोमांस की बिक्री और इसे रखने पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे न मानने पर कड़े दंड की भी घोषणा की थी।
महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत गाय की हत्या पर रोक है। नए अधिनियम में बैल और सांड़ की हत्या पर भी रोक को शामिल किया गया है। पहले उचित प्रमाण-पत्र के साथ बैल, साड़ के वध पर छूट थी। नए कानून के तहत सिर्फ भैंसों के वध की मंजूरी है।
गोमांस बिक्रेताओं का कहना है कि इस फैसले से राज्य में हजारों व्यापारी बेरोजगारी हो जाएंगे और इससे अन्य मांस उत्पादों -मटन, चिकेन और मछली- की कीमतों में वृद्धि हो जाएगी।
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