Coronavirus: भारतीय उद्योग-धंधों पर पड़ सकता है वायरस का असर, ऑटो और एविएशन प्रभावित
Coronavirus: भारतीय उद्योग-धंधों पर पड़ सकता है वायरस का असर, ऑटो और एविएशन प्रभावित
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Coronavirus का प्रभाव दुनियाभर के कारोबारी जगत पर भी पड़ना शुरू हो गया है। इसके अलावा भारत के उद्योग जगत पर अभी तक इसका सीधा असर नहीं पड़ा है। परन्तु अगर आने वाले दो-तीन हफ्ते हालात यूं ही बने रहते हैं तो देश के कई उद्योगों पर इसका असर हो सकता है। वही भारत के ऑटोमोबाइल, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, एविएशन जैसे उद्योगों पर कोरोना का असर पड़ने की आशंका है। वही सरकार में इसके संभावित असर को लेकर चिंता है। इसके साथ ही आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कोरोना के संभावित असर को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि इस बीमारी को लेकर आकस्मिक योजना तैयार रखी जानी चाहिए। वही फिक्की और सीआइआइ के अधिकारियों का कहना है कि उनके चैंबर की टीम संभावित खतरे के बारे में अध्ययन कर रही है। 

इसके बारे में सरकार से भी इस हफ्ते संपर्क साधा जाएगा ताकि एक समग्र प्लानिंग बन सके। इसके अलावा चूंकि भारत के रसायन व दवा उद्योगों के लिए सबसे ज्यादा कच्चा माल चीन से आयातित होता है इसलिए इन पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। वही दवा उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स उद्योग की अहम श्रृंखला हैं। वही भारत बल्क ड्रग्स चीन से आयात करता है और फिर यहां उससे तमाम तरह की दवाएं तैयार कर उनका निर्यात करता है। वर्ष 2018-19 में भारत ने जितना बल्क ड्रग्स आयात किया था उसका 68 फीसद सिर्फ चीन से किया गया था। इसके अलावा वैसे, कंपनियों के पास अगले 8-12 हफ्ते का स्टॉक है, परन्तु अगर हालात जल्द सामान्य नहीं होते हैं तो इस आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। कुछ ऐसी ही स्थिति रसायन उद्योग की भी है। देश की कई ऑटो कंपनियां भी अपने तमाम कल-पुर्जे चीन से ही आयात करती हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की ऐसे में इनकी आपूर्ति पर भी असर पड़ने का खतरा मंडरा रहा है। इसी तरह से कोरोना वायरस से जैसे हालात बन रहे हैं उससे पर्यटन व विमानन उद्योग भी चिंतित है। चीन के अलावा दक्षिण एशिया से आने वाले पर्यटकों की संख्या भी कम हो सकती है। एसबीआइ की शोध टीम की रिपोर्ट बताती है कि चीन व अमेरिका के बीच नए ट्रेड समझौते से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जो उम्मीद बंधी थी वह कोरोना की वजह से कमजोर हो गई है। इसके अलावा 2003 में इसी तरह के सार्स वायरस से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5,700 करोड़ डॉलर (करीब चार लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था। वही चीन की अर्थव्यवस्था में होने वाली गिरावट का असर इसके सबसे बड़े आर्थिक साझेदार अमेरिका पर भी पड़ेगा। वही अमेरिका व चीन भारत के बड़े आर्थिक साझेदार देश हैं। भारत-अमेरिका का पिछले वर्ष का द्विपक्षीय कारोबार 9,208 करोड़ डॉलर का था। जबकि इसी वर्ष चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 9,268 करोड़ डॉलर का रहा था। वही तब भारत ने 5,700 करोड़ डॉलर का आयात चीन से किया था। संभवत: यह एक वजह है कि आरबीआइ गवर्नर ने आकस्मिक योजना तैयार करने की बात कही है।

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