चीन ने किया बड़ा दावा, इस जानलेवा बीमारी की दवा में है कोरोना को मात देने की क्षमता
चीन ने किया बड़ा दावा, इस जानलेवा बीमारी की दवा में है कोरोना को मात देने की क्षमता
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दुनिया 180 से अधिक देशों को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. वही वुहान शहर में गंभीर कोरोनो वायरस रोगियों का इलाज करने वाले प्राथमिक अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा है एचआइवी की दवा कालेट्रा COVID-19 मरीजों के इलाज में कारगर है. उन्होंन पिछले दिनों आई उस स्टडी को खारिज किया है जिसमें इस दवा को कोरोना के इलाज में अप्रभावी बताया गया था. वुहान स्थित जिंइन्टिन अस्पताल (Jinyintan Hospital) के अध्यक्ष झांग डिंगयू ने कहा कि कालेट्रा एबीवी (AbbVie) द्वारा निर्मित लोपिनवीर/ रीतोनवीर का एक ऑफ-पेटेंट संस्करण है और वो इसी दवा का प्रेसक्राइब करते हैं. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि इस दवा को लेना फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि जिंइन्टिन के डॉक्टरों ने जनवरी महीने में संक्रमितों को यह दवा प्रेसक्राइब करना शुरू किया था.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पिछले महीने चीन के जिन्टिन हॉस्पिटल के कोविड-19 संक्रमितों पर एक परीक्षण पर आधारित न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के अध्ययन में कहा गया था कि कालेट्रा जिसे अलुविया भी कहा जाता है, एक संभावित उपचार के रूप में प्रभावी नहीं है. झांग ने कहा कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में जिन मरीजों का अध्ययन किया गया है उन्होंने निधन से पहले दवा नहीं ली थी, और अन्य वो थे जिनके डॉक्टर इस दवा को प्रेस्क्राइब करने के खिलाफ थे. 

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अपने बयान में उन्होंने कहा कि वायरस के लक्षण सामने आने के 2-3 दिन बाद तीन चिकित्साकर्मियों ने कालेट्रा लेना शुरू कर दिया था. दवा लेने के अंत में, उनके फेफड़ों में जो बदलाव हुए, वे वास्तव में बहुत अच्छे थे. फरवरी में बायोसाइंस ट्रेंड्स जर्नल द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शंघाई में डॉक्टरों ने फ्लू ड्रग आर्बिडोल और पारंपरिक चीनी दवा के संयोजन में, कालेट्रा को प्रेस्क्राइब किया, जिसके बाद कुछ रोगियों ने सकारात्मक सुधार दिखाई दिया. उन्होंने कहा, "समग्र शोध खत्म नहीं हुआ है, लेकिन हर किसी की भावना है - यह सिर्फ एक भावना है - लेकिन यह है कि इन दवाओं का कुछ उपयोग है.

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