CoronaVirus: दुनिया में बढ़ा अवैध जंगली जानवरों का कारोबार, जानें- पूरा मामला
CoronaVirus: दुनिया में बढ़ा अवैध जंगली जानवरों का कारोबार, जानें- पूरा मामला
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बीजिंग: चीन में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस का कहर आज के समय में हर कोई परेशान है वहीं चीन में 2002 में सार्स बीमारी ने महामारी का रूप अख्तियार किया था. यह बीमारी भी जंगली जानवरों से फैली थी. जंहा इसके वायरस ने दुनिया में कोहराम मचाया था. लेकिन चीन ने इस घटना से सबक नहीं लिया. इस बीमारी से लगभग 800 लोगों की जान गईं थी. इसके बावजूद चीन में दुनिया के जंगली जानवरों का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है. आज भी  चीन दुनिया का जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्‍ता है. जंहा कोरोना वायरस के चलते एक बार फ‍िर से जंगली जानवरों का यह बाजार सुर्खियों में है. हाल में यह खबरें चर्चा में रहीं कि किसी जानवर के कारण यह वायरस इंसानों तक फैला. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं. ये भी कहा जा रहा है कि ये वायरस इंसानों में आने से पहले किसी अन्य जानवर में गया होगा, जिसकी पहचान अब तक नहीं की जा सकी है. आइए जानते हैं चीन में जंगली जानवरों को अवैध कारोबार का सच. इसके साथ ही इस अवैध कारोबार में कौन से जानवर हो रहे हैं विलुप्‍त. 

वन्‍य जीव के कारोबार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध: वहीं इस बात कि जानकारी मिली है कि कोरोना वायरस ने एक बार फ‍िर चीन में जंगली जानवरों की धड़ल्‍ले से चले रहे कारोबार को दुनिया के सामने ला दिया है. वन्‍यजीव संरक्षण संस्‍थाओं ने इसको लेकर कई बार चेतावनी भी जारी किया है. अतंरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसकी निंदा भी हाेती रही है. जंहा उस वक्‍त यह आलोचन इसलिए होती थी क्‍यों कि अवैध कारोबार के चलते जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं. वहीं कोरोना वायरस के प्रसार के बाद चीन की सरकार ने वन्‍य जीव के कारोबार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि इस वायरस के प्रसार को रोका जा सके. लेकिन चीन ने यह कदम विलंब से उठाया है. है. वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस कोशिश में है कि इस मौक़े का इस्तेमाल इस व्यापार को पूरी तरह से रोकने में किया जाए.

जंहा रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि हाल में किया गया एक विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि ज़मीन पर चलने वाले हड्डीधारी वन्यजीवों की कुल 32 हज़ार प्रजातियों में से 20 फ़ीसद प्रजातियों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में वैध और अवैध ढंग से ख़रीदा-बेचा जा रहा है. स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसर्पों और उभयचरों की 5,500 से ज़्यादा प्रजातियों की ख़रीद-फरोख़्त जारी है. 

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