कोरोना ने फिर बदला अपना रूप, तेजी से बढ़ रहा नया कोरोना का कहर
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नई दिल्ली: एक अध्ययन में केस सुनने को मिला है कि कम प्रतिरोधक क्षमता वाले कोरोना वायरस के एक मरीज के उपचार के लिए प्लाजा थैरेपी के उपयोग के बीच  कोविड के विभिन्न स्वरूप (वेरिएंट) उत्पन्न हुए। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि प्लाज्मा थैरेपी के उपरांत मरीज में केस देखने को मिले है वायरस के मुख्य स्वरूप का आनुवांशिक संरचना परिवर्तन ब्रिटेन में पहले ही पाए गए एक स्वरूप से मेल खा रहा है।

ब्रिटेन में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रवींद्र गुप्ता भी इन अनुसंधानकर्ताओं में मौजूद हैं। पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों में संभावना जता रहे है कि जब कोविड से लंबे वक़्त से संक्रमित कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति में वायरस की प्रतिकृतियां बनती हैं, तो SARS-COV-2 वायरस के नए स्वरूपका जन्म हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के तहत, वैज्ञानिकों ने कमजोर प्रतिरोधी क्षमता वाले एक मरीज का अध्ययन किया, जिसकी उम्र 70 से ज्यादा थी।

तकरीबन 101 दिन की अवधि में व्यक्ति के उपचार के लिए एंटीबॉयोटिक दवाएं, स्टेरॉयड, रेमडेसीवीर और प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग किया गया, लेकिन वह स्वस्थ नहीं हुआ। गुप्ता और उनके साथियों ने कहा कि उन्होंने उपचार के दौरान 23 बार वायरस के नमूने लिए जा चुके है। इस बीच वायरस ने विभिन्न स्वरूप बदले। अनुसंधानकर्ताओं ने अनुसंधान की मुख्य खामियों का हवाला देते हुए बोला कि यह केवल एक केस का अध्ययन है, लेकिन गुप्ता एवं उनके सहकर्मियों का मानना है कि यह निष्कर्ष कम प्रतिरोधी क्षमता वाले कोरोना वायरस के मरीज में प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग करने को लेकर सचेत कर रहा है।

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