सी.पी.एम. में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई
सी.पी.एम. में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई
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नई दिल्ली : किसी भी राजनीतिक दल में अपना प्रभुत्व बनाए रखने की चाहत दल के हर नेता की रहती है. इससे कोई भी दल अछूता नहीं है. इन दिनों वर्चस्व की लड़ाई मार्क्स वादी पार्टी में देखने को मिल रही है. पार्टी में सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के गुटों के बीच राजनीतिक वर्चस्व में शह और मात का खेल चल रहा है. इसी कड़ी में सीपीएम ने बुधवार को राज्यसभा सांसद और एसएफआई के पूर्व अखिल भारतीय महासचिव को रितब्रता बनर्जी पार्टी से निकाल दिया. येचुरी के करीबी बनर्जी के निष्कासन को येचुरी की शिकस्त के रूप में देखा जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि अपने निष्कासन पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए युवा राज्यसभा सांसद रितब्रता बनर्जी ने इसे पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि प्रकाश और वृंदा करात के खिलाफ बताया. बनर्जी के खिलाफ जून में CPM ने निष्कासन की सिफारिश की थी. तीन सदस्यीय जांच समिति ने यह निर्णय लिया. मो. सलीम इस समिति के प्रमुख थे. इस जाँच पैनल को बनर्जी ने "कंगारू आयोग" कहा था.

बता दें कि अपने निष्कासन पर रितब्रता बनर्जी ने मो. सलीम के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो से मैंने कुछ नहीं सीखा है, जो कुछ सीखा है, वह मोहम्मद सलीम है. बनर्जी ने सवाल उठाया कि कम्युनिस्ट पार्टी का उद्देश्य समाज को बदलने का है, उसके पोलितब्यूरो में कोटा कैसे हो सकता है. यदि आप मुस्लिम हैं या महिला हैं तो आप पात्र हैं. क्या ये कम्युनिस्ट पार्टी में स्वीकार्य हैं.पोलित ब्यूरो के सदस्य के हकदार के रूप में उन्होंने गौतम देव का उल्लेख किया.

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